अयोध्या भूमि विवाद: न्यायालय ने मध्यस्थता पर आदेश सुरक्षित रखा
नई-दिल्ली: राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को मध्यस्थता के जरिये सुलझाया जा सकता है या नहीं, इस पर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, "इस पर आदेश बाद में सुनाया जायेगा"।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में संविधान पीठ ने पक्षकारों की दलीलें सुनीं। कई हिंदू और मुस्लिम संस्थाएं मामले में पक्षकार हैं।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
शीर्ष अदालत में अयोध्या प्रकरण में चार दिवानी मुकदमों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपील लंबित हैं। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि तीनों पक्षकारों. सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांट दी जाये।
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