व्यंग्य: बालाकोट में आतंकी नहीं - गधे मारे गये: नवेन्दु उन्मेष
पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय सेना के द्वारा बम गिराये जाने से पाकिस्तान के लोगों से ज्यादा कुछ भारतीय राजनेताओं के दिल को चोट पहुंची है। इसका कारण यह है कि वे खाते हिन्दुस्तान का हैं और गाते पाकिस्तान का है। ऐसे लोग बालाकोट में बम गिराये जाने के बाद वहां मारे गये लोगों की गिनती करने में व्यस्त हैं। उन्हें आतंकवादियों के द्वारा कश्मीर में मचाये जा रहे आतंक से ज्यादा बालाकोट में मारे गये आतंकियों की गिनती की चिंता ज्यादा सता रही है। ऐसे लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि भारतीय सेना कहीं बालाकोट में मौज मस्ती के लिए तो नहीं गयी थी। मेरा मानना है कि अगली बार जब भी सेना पाकिस्तान के विरोध में कार्रवाई करे तो ऐसे राजनेताओं को साथ में जरूर ले जाये। मारने या बम गिराने के बाद उनके सामने ही गिनती करा ले कि देख लो हमने कितने बम गिराये और कितने आतंकवादी मारे ताकि बाद में हल्ला नहीं करना कि हम झूठ बोल रहे हैं। साफ जाहिर है कि ऐसे लोग भारत सरकार के द्वारा बनायी गयी खीर में नींबू निचोड़ने का काम करते हैं। ये वैसे ही लोग हैं जब दूसरे लोगों के खिलाफ सीबीआई कार्रवाई करती है तो वह अपराधी है और जब इनके खुद के खिलाफ सीबीआई कार्रवाई करती है तो वह साजिश माना जाता है। ऐसे लोग चित भी मेरी - पट भी मेरी, की राजनीति करते हैं।
एक बार की बात है एक पति अपनी पत्नी की पिटाई बीच सड़क पर कर रहा था। इस पर कुछ लोगों ने हस्तक्षेप किया और पत्नी को बचाने की कोशिश करने लगे तो पत्नी तन कर खड़ी हो गयी। बोली ये मेरे पति हैं। ये मुझे मारे या पीटे आप लोग इन्हें कुछ मत करिये। ऐसी स्थिति में पत्नी पति से पिटाती रही और लोग तमाशा देखते रहे। कर भी क्या सकते थे। पति को पीटते हैं तो पत्नी चिल्लाती है और पत्नी की पिटाई होती है तो वह घायल हो जाती है। अंत में जब पति की पिटाई से पत्नी की मौत हो गयी तो उसे उठाने वाला कोई नहीं था। तब तक लोग अपने घर चले गये थे।
वैसे बालाकोट में मारे गये आतंकवादियों की गिनती पर सबसे ज्यादा बवाल भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा गुजरात में दिये गये उस बयान पर ज्यादा हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि सेना की कार्रवाई में 250 आतंकी मारे गये। सवाल यह भी उठता है कि आखिर अमित शाह को यह बात गिनती करके किसने बतायी कि वहां 250 आतंकी मारे गये। यह बात भी विचार करने योग्य है। मैं तो कहॅूंगा कि इसकी भी समीक्षा की जानी चाहिए।
वैसे नवजोत सिंह सिद्धु भी जब से पाकी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से लौेट कर आये हैं तब से मित्रधर्म बखूबी निभा रहे हैं। उन्हें लगाता है कि पाकिस्तान पर किया गया हर हमला उनके मित्र पर किया गया हमला है।
उपसंहार: वैसे मेरी खुफिया जानकारी यह है कि बालाकोट में भारतीय सेना द्वारा गिराये गये बम से गधों और मुर्गियों को ज्यादा हानि पहुंची है, क्योंकि पाकिस्तान में इन दिनों गधों की संख्या ज्यादा हो गयी थी और गधे ही आतंकवादियों के मुखौटे ओढ़कर कश्मीर में आ जाते हैं। इस घटना के बाद पाकिस्तान के एक मात्र बेरोजगारी उन्मूलन कार्यक्रम मुर्गी वितरण कार्यक्रम को धक्का पहुंचा है। इसका कारण यह है कि पाकिस्तान कुछ दिनों से अपने यहां बेरोजगार नौजवानों को मुर्गिया देकर स्वरोजगार की योजना में लगा था। मुर्गियां लेने के लिए वहां लोगों की भीड़ लग रही थी। अब भारतीय सेना द्वारा की गयी कार्रवाई में गधे और मुर्गियां मर गयी तो कुछ भारतीय राजनेता मरसिया गा रहे हैं-
’अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का। यार ने ही लूट लिया घर यार का।’
ऐसे लोग इमरान खान को शांति का नोबेल पुरस्कार भी दिला सकते हैं।
उपरोक्त ब्यंग्य के लेखक हैैं झारखण्ड के रांची में रहने वाले आम लोगोंं में से एक आम आदमी।
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