विशेष: 28 फरवरी - राष्ट्रीय विज्ञान दिवस: राष्ट्र के विकास की आधारशिला है विज्ञान
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर 'विशेष' में प्रस्तुत है, "सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइन्सेज, नैनी, प्रयागराज के वार्नर कॉलेज ऑफ़ डेरी टेक्नोलॉजी" के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, डॉ• शंकर सुवन सिंह की प्रस्तुति:
वास्तविक ज्ञान ही विज्ञान है। रसायन, भौतिकी, जीव-जंतु, कृषि, खाद्य-दुग्ध, आदि अनेक क्षेत्रों के वास्तविक ज्ञान से राष्ट्रहित संभव है।
रसायन का वास्तविक ज्ञान, रसायन विज्ञान है। भौतिकी का वास्तविक ज्ञान, भौतिक विज्ञान है। जीव का वास्तविक ज्ञान, जीव विज्ञान है। कृषि का वास्तविक ज्ञान, कृषि विज्ञान है। खाद्य का वास्तविक ज्ञान, खाद्य विज्ञान है। दुग्ध का वास्तविक ज्ञान दुग्ध विज्ञान है, आदि ऐसे अनेक क्षेत्रों में विज्ञान है।
विज्ञान में जो महारथ हासिल कर ले, वो वैज्ञानिक है। वो विज्ञान जो अविष्कार या खोज के द्वारा विश्व पटल पर चरितार्थ हो, राष्ट्रीय विज्ञान कहलाता है।
भारत देश में अनेक वैज्ञानिक हुए जो विज्ञान के क्षेत्र में अनेक शोध या अविष्कार किये। उनकी यही खोज या अविष्कार राष्ट्र को विश्व पटल पर चरितार्थ करता है।
अतएव हम कह सकते हैं की ऐसा विज्ञान जो राष्ट्र को विश्व पटल पर चरितार्थ करे, वो राष्ट्रीय विज्ञान है।
देश में सन् 1986 से प्रति वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (नेशनल साइंस डे) मनाया जाता है।
प्रोफेसर सी•वी•रमन (चंद्रशेखर वेंकटरमन) ने सन् 1928 में कोलकाता में इस दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी, जो "रमन प्रभाव" के रूप में प्रसिद्ध है। रमण की यह खोज 28 फरवरी 1930 को प्रकाश में आई थी। इस कारण 28 फरवरी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस कार्य के लिए उनको 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इस दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करना, प्रेरित करना तथा विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस देश में विज्ञान के निरंतर उन्नति का आह्वान करता है, परमाणु ऊर्जा को लेकर लोगों के मन में कायम भ्रातियों को दूर करना इसका मुख्य उद्देश्य है तथा इसके विकास के द्वारा ही हम समाज के लोगों का जीवन स्तर अधिक से अधिक खुशहाल बना सकते हैं।
रमण प्रभाव में एकल तरंग- दैध्र्य प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक) किरणें, जब किसी पारदर्शक माध्यम ठोस, द्रव या गैस से गुजरती है तब इसकी छितराई किरणों का अध्ययन करने पर पता चला कि मूल प्रकाश की किरणों के अलावा स्थिर अंतर पर बहुत कमजोर तीव्रता की किरणें भी उपस्थित होती हैं। इन्हीं किरणों को रमन-किरण भी कहते हैं।
भौतिक शास्त्री सर सी•वी• रमन एक ऐसे महान आविष्कारक थे, जो न सिर्फ लाखों भारतीयों के लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। यह किरणें माध्यम के कणों के कंपन एवं घूर्णन की वजह से मूल प्रकाश की किरणों में ऊर्जा में लाभ या हानि के होने से उत्पन्न होती हैं। इतना ही नहीं इसका अनुसंधान की अन्य शाखाओं, औषधि विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, खगोल विज्ञान तथा दूरसंचार के क्षेत्र में भी बहुत महत्व है।
अतएव हम कह सकते है कि, भौतिक शास्त्री सर सी• वी• रमन एक ऐसे महान आविष्कारक थे, जिन्होंने अपने अविष्कार (रमन इफेक्ट) के द्वारा, राष्ट्र को विश्व पटल पर चरितार्थ किया।
राष्ट्र के विकास के तीन स्तम्भ हैं:
जवान, किसान और विज्ञान। हम कह सकते हैं, जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान। जवान राष्ट्र की सुरक्षा के दृषिकोण से, किसान राष्ट्र के खाद्यान के दृष्टिकोण से, विज्ञान राष्ट्र के प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण से अहम् हैं।
इसलिए हम कह सकते हैं कि विज्ञान राष्ट्र के विकास की आधारशिला है।
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