समीक्षा: बजट 2019: रियायत और प्रोत्साहन भरा बजट: अनिल अनूप
एक नजरिया- बजट की "समीक्षा":
देश के करोड़ों लोगों की निगाहें एक फरवरी को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा प्रस्तुत किए गए वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट पर लगी हुई थीं। आगामी वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में सिर्फ चार महीने के लिए लेखानुदान ही पेश नहीं किया गया, वरन देश की आर्थिक-सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए अर्थव्यवस्था के हित को भी ध्यान में रखते हुए बजट के माध्यम से आगामी दस वर्षों के लिए नीतिगत दिशाएं भी प्रस्तुत की गईं। सरकार ने किसानों, गरीबों, मजदूरों, कर्मचारियों और छोटे उद्यमियों.कारोबारियों को लाभान्वित करने वाले प्रावधान घोषित किए। मध्यम वर्ग और छोटे आयकरदाताओं के लिए राहत की घोषणाएं की गईं। आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपए की गई है। चूंकि 2019-20 का अंतरिम बजट आम चुनाव के पहले का आखिरी बजट था, अतएव इसे लोकलुभावन बनाया गया है।
इस बजट को लोकलुभावन बनाने के लिए सरकार राजकोषीय घाटे संबंधी कठोरता से कुछ पीछे हटी है। चालू वित्त वर्ष 2018-19 में जो राजकोषीय घाटा (फिजिकल डेफिसिट) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 फीसदी निर्धारित है, उसे आगामी वित्त वर्ष के लिए 3.4 फीसदी तक सीमित रखना सुनिश्चित किया गया है। देश की वर्तमान विकासशील परिस्थितियों के मद्देनजर यह उपयुक्त है।
चूंकि अंतरिम बजटके आकार के संबंध में संविधान के प्रावधान मौन हैं। ऐसी कोई कानूनी या संवैधानिक बाधा नहीं है, जो सरकार को चुनावी वर्ष में अंतरिम बजट पेश करते समय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करों में संशोधन करने का प्रस्ताव करने से रोके। अतएव मोदी सरकार ने अब तक के 13वें अंतरिम बजट के माध्यम से किसानों व कृषि के व्यापक परिप्रेक्ष्य में उदार बजट पेश किया है।
नए अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने आठ फीसदी विकास दर का लक्ष्य निर्धारित करते हुए व्यापक प्रावधान प्रस्तुत किए हैं।
विकास दर बढ़ाने के लिए अंतरिम बजट में रणनीति प्रस्तुत की गई है। निश्चित रूप से जब चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश की विकास दर दुनिया की सबसे अधिक विकास दर के स्तर पर है, राजकोषीय घाटा लक्ष्य के अनुरूप सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी के लगभग 3.3 फीसदी स्तर पर केंद्रित है।
नया अंतरिम बजट प्रमुखतया खेती और किसानों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे रहा है। सरकार ने इस बजट में नकद के रूप में राहत देने के लिए ऐसी योजना प्रस्तुत की है, जिसके तहत किसानों का वित्तीय बोझ कम करने के लिए उनके खातों में नकद रकम ट्रांसफर की जाएगी। कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाया गया है। नए बजट में मोदी सरकार ने 2 हेक्टेयर जमीन वाले किसानों को छह हजार रुपए प्रति वर्ष इनकम सपोर्ट देने का ऐलान किया है, जो उनके अकाउंट में सीधे जमा हो जाएगा। यह रकम भारत सरकार द्वारा तीन किस्तों में जमा की जाएगी। इससे 12 करोड़ किसानों को सीधा लाभ होगा। पीएम किसान सम्मान योजना नामक यह योजना 1 दिसंबर, 2018 से लागू की जाएगी। इस योजना के लिए 75 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाएंगे। मनरेगा के लिए भी बजट आवंटन बढ़ाया गया है। नए वित्तीय वर्ष में 60 हजार करोड़ रुपए मनरेगा पर व्यय किए जाएंगे। सरकार गोमाता के सम्मान में और उसकी जरूरत के लिए राष्ट्रीय गोकुल योजना शुरू करेगी। सरकार इसके लिए 750 करोड़ रुपए देगी। नए बजट में मध्यम वर्ग को कई सौगातें दी गई हैं। ऐसे में सरकार द्वारा बजट में आयकर छूट की सीमा को ऐतिहासिक रूप से बढ़ाया गया है। टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए की गई है। तीन करोड़ छोटे आयकरदाताओं को इससे फायदा होगा। निवेश करने पर 6.5 लाख रुपए तक कोई आयकर नहीं लगेगा। फिक्स डिपाजिट पर 40 हजार रुपए तक के ब्याज पर टैक्स नहीं लगेगा। मानक छूट 40 हजार रुपए से बढ़ाकर पचास हजार रुपए की गई है। तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था का लाभ कामगारों और विभिन्न सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों को देने के लिए बजट में प्रावधान बढ़ाए गए हैं। कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी भुगतान सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए की गई है। मजदूरों का बोनस 7000 रुपए किया गया है।
यह भी कहा गया है कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे जल्द लागू किया जाएगा। नए बजट के तहत ईपीएफओ की बीमा राशि छह लाख रुपए की गई है। इससे असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मौत पर छह लाख रुपए का मुआवजा सुनिश्चित किया गया है। 60 साल की उम्र के बाद तीन हजार रुपए की पेंशन, 15 हजार सैलरी वाले मजदूरों के लिए पेंशन तथा 100 रुपए माह के अंशदान पर बोनस की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। नए बजट के तहत पहली बार रक्षा बजट तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का किया गया है। नए अंतरिम बजट के तहत रियल एस्टेट को प्रोत्साहन दिखाई दिया है। स्टार्टअप्स के लिए नई सुविधाएं दी गई हैं। नए अंतरिम बजट में स्वास्थ्य, शिक्षाए छोटे उद्योग- कारोबार और कौशल विकास जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों के लिए बजट आवंटन बढ़ते हुए दिखाई दिए हैं। निर्यातकों को रिसर्च एंड डेवेलपमेंट पर विशेष इंसेटिव दिया गया है। नए अंतरिम बजट में क्लीन और ग्रीन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए आकर्षक प्रावधान किए गए हैं। उज्ज्वला योजना के तहत दो करोड़ और मुफ्त गैस कनेक्शन के प्रावधान हैं। असंगठित क्षेत्र के दस करोड़ लोगों को पेंशन की योजना सुनिश्चित की गई है। किसान क्रेडिट कार्ड की अर्जी को सरल किया गया है। इस तरह नए बजट में निश्चित रूप से विभिन्न वर्गों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए प्रावधान सुनिश्चित हुए हैं, लेकिन इस अंतरिम बजट की सबसे बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटा बढ़ने से संबंधित है। चालू वित्तीय वर्ष की तुलना में आगामी वित्तीय वर्ष 2019- 20 में आमदनी की तुलना में व्यय तुलनात्मक रूप से अधिक होंगे क्योंकि विभिन्न उम्मीदों को पूरा करने के लिए अधिक धन की जरूरत होगी। इसीलिए बजट प्रस्तुत करते समय बताया गया है कि राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.4 फीसदी तक होगा। तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राजकोषीय घाटे के आकार में कुछ वृद्धि उपयुक्त ही कही जा सकती है।
निश्चित रूप से वर्ष 2019-20 के नए अंतरिम बजट में सरकार विभिन्न वर्गों की आर्थिक अपेक्षाओं और उद्योग कारोबार के लिए उपयुक्त रियायतें एवं प्रोत्साहन देते हुए दिखाई दी है।
अनिल "अनूप"
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