विकास की बाट जोहता मगहर.....
साक्षात्कार- "समाजशास्त्री परमात्मा प्रसाद मिश्र" से
कभी-कभी अपने पराए हो जाते हैं, दोस्त दुश्मन बन जाते हैं। जिनसे वरदान की कल्पना की जाती है, अभिशाप बन जाते हैं।
मगहर तथा आसपास के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों की हकीकत क्षेत्र के लिए वरदान नहीं सिद्ध हो पा रही है।
क्षेत्र में गरीबों की बस्ती है, बेरोजगारों की फौज हैं, यहां के लोग रोजी-रोटी के लिए दूर शहरों में जाकर जीवन यापन का सहारा ढूंढते हैं। ऐसे भी अभागे चूल्हे हैं, जो आग के लिए तरसते हैं।
यहां गरीबी बुनकरों की आर्थिक दशा को देखते हुए भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1975-76 में संत कबीर के नाम पर संत कबीर सहकारी कताई मिल की स्थापना कराई थी। जिससे बुनकरों की आर्थिक दशा को सुधारने का अवसर प्राप्त हुआ। मिल चली, लेकिन दुर्भाग्य से धोखा सिंह पैदा हो गए। मिल चलाने के लिए कोई नेता पैदा नहीं हुआ।लेकिन बंद कराने के लिए पैदा हुए नेता मिल बंद कराकर अपनी राजनीति चमकाने की घिनौनी हरकत किए। मिल बंद है, श्रमिकों का परिवार रोजी-रोटी के लिए भटक रहा है। धोखा आश्रम के लोगो को डस लिया। आश्रम के कर्मचारियों एवं कार्यकर्ताओं ने स्वयं अपने पैर में कुल्हाड़ी मारते हुए धोखा के शिकार हुए। आज भी वेतन के लिए रोना रो रहे हैं। इन गरीबों को कोई पूछने वाला नहीं है। गत दिनों जब भारत के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी का कार्यक्रम बना तो फिर लोगों में आशा जगी कि, प्रधानमंत्री जी कोई एक मिल लगवा कर गरीबों के जीवन यापन का मार्ग प्रशस्त करेंगे। लेकिन आशा निराशा में बदल गई। किसी भी मिल की स्थापना नहीं हुई। ना तो पुरानी मिल चालू की गई। इसका दोष यहां के लोगों पर भी जाता है। प्रभावित व्यक्ति न घर से निकलते हैं। ना तो किसी पर विश्वास करते हैं। किसी जनप्रतिनिधि ने भी उनकी मांग को भी प्रधानमंत्री के समक्ष नहीं रखा। सभी ने अपना.अपना राग आलापते हुए मीठा-मीठा गप्प का भजन गाया।
एक सांसद के जन-विरोधी कार्यों को लिखा नहीं जा सकता। इस सांसद ने कटे पर नमक डाला, जो योजनाएं हैं, दी गई उससे भूखे गरीबों, बेरोजगार नवयुवकों रोजी-रोटी नहीं मिलेगी।
कॉरिडोर की उपयोगिता पेट भर भोजन के बाद है। पायल की झंकार भूखों के लिए नहीं। भूखे भजन न होय गोपाला..... बताया जाता है कि अविभाजित बस्ती जनपद के सांसद एवं तत्कालीन रेल राज्य मंत्री श्री शिव नारायण ने मगहर रेलवे स्टेशन को जंक्शन बनाने का कार्य किया। दोहरीघाट से मगहर, मगहर से बांसी रेल लाइन बिछाकर क्षेत्र को विकसित करने का कार्य किया था। सर्वे हुआ टेक्निकल रिपोर्ट से ज्ञात हुआ कि सहजनवा से दोहरीघाट के अपेक्षा मगहर से दोहरीघाट तक रेल लाइन बिछाने में कम लागत लगेगी और अधिक क्षेत्र कवर होगा। आज भी प्रस्तावित सभी रेल लाइनें यदि मगहर जंक्शन बनाने के प्रस्ताव को देखें तो लागत और क्षेत्र का कवर अधिक होगा। मगहर के जंक्शन बन जाने तथा एक भी मिल लग/ चल जाने से इस क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
खबर है कि प्रधानमंत्री पुनः फरवरी में गोरखपुर आकर कई परियोजनाओं का सौगात देंगें।
इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि, "वक्त की नजाकत को देखें तथा इस क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए संत कबीर के नाम पर मगहर जंक्शन एवं एक मिल की स्थापना करके बुनकरों, बेरोजगारों को रोजी प्रदान करें।इसी में भाजपा के आम जनता का हित निहित है।"
...परमात्मा प्रसाद मिश्रएसमाजशास्त्री मगहर, "संत कबीर नगर" से साक्षात्कार पर अधारित।
प्रस्तुति- नवनीत मिश्र, संंवाददाता
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