विशेष: लहू बोलता भी है: जंगे-आजादी-ए-हिन्द के मुस्लिम किरदार
आइए जानते हैं जंगे आजादी ए हिन्द के मुस्लिम किरदार- नवाब महमूद खान, हाफिज़ रहमतुल्लाह खान और को______
नवाब महमूद खान
नवाब महमूद खान नजीबाबाद के राजा थे। आपने 1857 में बहुत जवां-मर्दी और बहादुरी से अंग्रेज़ों का मुकाबला करके बिजनौर, धामपुर, नगीना और अदूमपुर पर कब्जा हासिल कर लिया। अंग्रेज़ों ने बिजनौर पर दोबारा कब्जा करने के बाद नवाब महमूद खान को गिरफ्तार करके आप पर मुकदमा चलाया और आपको उम्रकैद की सजा सुनायी, लेकिन अण्डमान जाने से पहले अंग्रेज़ों ने कैद में ही आप पर इतनी सख्तियां की कि मेरठ जेल में आपका इन्तकाल हो गया।
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हाफिज रहमतुल्लाह खान
हाफिज़ रहमतुल्लाह खान उस नवाब खान बहादुर खान के दादा थे, जिन्होंने सन् 1857 की आजादी की लड़ाई में अंग्रेज़ों की नींद हराम कर दी थी। नवाब शुजाउद्दौला और वारेन हेस्टिंग दोनों की फौजों से जंग के दौरान शाहजहांपुर के मीरान कटरा में आपकी शहादत हुई थी।
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शब्बीर अली
मुरादाबाद में अंग्रेजी हुकूमत के खात्मे के बाद जब इन इलाकों पर आज़ादी का परचम फिर से लहराने लगा तो सैय्यद गुलज़ार अली और शब्बीर अली ने भी अमरोहा के इंतिजामात संभाला। दोनों लीडरों ने अपने अफ़सरान मुकर्रर करके शहर अमरोहा पर बाक़ायदा हुकूमत की और टैक्स वगै़रह की वसूली करके शहर का इंतज़ाम किया। जब नवाब रामपुर की फ़ौज अंग्रेज़ों के इशारों पर अमरोहा पर हमलावर हुई तो उसका डटकर मुक़ालबा किया। अंग्रेज़ी हुकूमत दोबारा कायम होने पर इन दोनों लीडरान पर मुक़दमा चलाया गया। इनमें से शब्बीर अली को जनवरी सन् 1859 में अण्डमान (कालापानी) भेज दिया गया, जहां सन् 1890 में उनका इंतक़ाल हो गया, जबकि गुलज़ार अली फरारी होकर रूपोश (गायब) हो गये। अंग्रेज़ों ने उनकी गिरफ़्तारी की बहुत कोशिश की मगर नाकाम रहे। उनके फरार की दास्तान भी अजीब है। अंग्रेज़ों ने उनके मुहल्ले में एक पुलिस.चैकी कायम कर दी थी। गुलज़ार अली के एक रिश्तेदार रात में घोड़े पर सवार होकर निकलते और इधर.उधर घोड़े को दौड़ाते रहते और पुलिस की पूछताछ करने पर कह देते कि घोड़ा चांदनी रात से डरता है इसलिए उसे आदी बना रहा हूं। पुलिस वाले मुतमइन हो जाते और घोड़ा दौड़ाने का यह सिलसिला चलता रहा। एक रात वह घोड़ा उछलता.कूदता गायब हो गया। उस रात उस पर गुलज़ार अली सवार थे।
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