विशेष: नेता जी बनाम जाँच आयोग
सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइन्सेज, नैनी, प्रयागराज, इलाहाबाद के वार्नर कॉलेज ऑफ़ डेरी टेक्नोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर एण्ड प्राक्टर- डा• शंकर सुवन सिंह के लेख को उन्ही के शब्दों में प्रस्तुत किया जा रहा हैै:
सुभाष चंद्र बोस (नेता जी) की मृत्यु का सही कारन पता लगाने के लिए भारत की सरकारें मुखर्जी आयोग से पूर्व दो जाँच आयोग गठित कर चुकी है। सबसे पहले शाहनवाज कमेटी बनाई गई तत्पश्चात खोसला आयोग का गठन किया गया। शाहनवाज कमेटी नेता जी की मौत का सही पता न लगा सकी। खोसला आयोग ने कई दस्तावेजों के आधार पर कहा था कि सुभाष चंद्र बोस (नेता जी) की मृत्यु के होने का कोई उचित साक्ष्य नहीं है।
केंद्र में जब १९९८ ई• में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार आई तब इसके गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने एक और आयोग का गठन किया। जिसे नेता जी की मृत्यु का सही कारण पता लगाने का कार्य सौंपा गया।
इस आयोग को २००२ ई• में रिपोर्ट सौंपनी थी परन्तु उसने २००५ ई• में रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी। यह मुखर्जी आयोग पिछले आयोग के निष्कर्ष से एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई।
८ नवंबर २००५ ई• को जस्टिस एम• के• मुखर्जी ने भारत सरकार को नेता जी सुभाष चंद्र बोस के मृत्यु के सम्बन्ध में रिपोर्ट सौंपी।
नेता जी की मृत्यु कैसे हुुई ?-
इस सम्बन्ध में किसी भी तथ्य की सच्चाई उजागर होने के बजाए और अनसुलझी हो गई। जस्टिस मुखर्जी आयोग की जांच रिपोर्ट से साबित होता है कि नेता जी कि मृत्यु के सम्बन्ध में जरूर दाल में कुछ काला है।
मुखर्जी आयोग कि जांच रिपोर्ट में बताया गया कि १८ अगस्त १९४५ ई• को ताईवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई। अब तक कहा जाता रहा है कि सुभाष चंद्र बोस कि मृत्यु १८ अगस्त १९४५ ई• को ताईवान के ताईहोकू हवाई अड्डे पर, विमान दुर्घटना में आग में झुलस जाने से हुई थी। जाँच आयोग को ताईवान ने पूरा सहयोग दिया और निष्कर्ष निकाला कि ताईवान के ताईहोकू हवाई अड्डे पर कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी। नेता जी सुभाष चंद्र बोस से सम्बन्ध रखने वाले देश रूस, जापान व ब्रिटेन थे। रूस, जापान व ब्रिटेन ने जाँच में आयोग को अपेक्षित सहयोग नहीं दिया। जाँच आयोग को रूस जाने की अनुमति यू•पी•ए• सरकार ने नहीं दी, जिससे जाँच आयोग को जाँच कार्य में बाधा पहुंची। जाँच भी ठीक ढंग से न हो सकी।
मुखर्जी जाँच आयोग की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि सुभाष चंद्र बोस १९४६ ई• में ज़िंदा थे। सुभाष चंद्र बोस रूस में देखे गए थे। इसके ठोस प्रमाण प्राप्त न हो सके क्यों कि भारत सरकार ने आयोग को जाँच के लिए रूस जाने कि अनुमति प्रदान नहीं की थी।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी ( सी•आई•ए•) अनुसार १८ अगस्त १९४५ ई• को ताईवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी।
इस प्रकार जाँच आयोग की रिपोर्ट ने आशंका जताई कि स्टालिन ने ही नेता जी को फांसी पर लटका दिया था, जिससे कि उनकी मृत्यु हुई थी।
के•जी• बी• से जुड़े दो जासूसों ने १९७३ ई• में वाशिंगटन पोस्ट को बिना अपना नाम बताए कहा था कि जापान के टैनकोजी मंदिर में रखी हुई अस्थियाँ नेता जी की नहीं हैं।
नेता जी के भतीजे अमियनाथ ने खोसला आयोग को बताया था कि एक बार उन्हें ब्रिटिश अधिकारी ने फोन पर जानकारी दी थी कि १९४७ ई• में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के साथ रुसी अधिकारियों ने गलत और अपकृत्य व्यवहार किया था।
सुभाष चंद्र बोस के भाई शरत चंद्र बोस ने १९४९ ई• में कहा था कि सोवियत संघ में नेता जी को साइबेरिया कि जेल में रखा गया था तथा १९४७ ई• में स्टालिन ने नेता जी को फांसी पर चढ़ा दिया था।
सुभाष चंद्र बोस के साथ विमान में यात्रा करने वाले कर्नल हबीब रहमान ने मृत्यु के कुछ दिन पूर्व यह स्वीकार किया था कि ताईवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी।
देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य रहा कि वह नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) की मृत्यु के कारणों का सही पता न लगा पाई।
आयोग की जाँच व भारत सरकार की निष्क्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण यही है।
(फोटो- साभार- BBC)
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