लम्बे इंतजार के बाद 9 जनवरी को शुरू होगी लखनऊ-सीतापुर रेलसेवा
इटौंजा क्षेत्रवासियों के दिल मे स्टेशन का दर्जा न दिए जाने का मलाल
लखनऊ: लम्बे इंतजार के बाद लखनऊ-सीतापुर रेलमार्ग पर ट्रेनों का संचालन आगामी 9 जनवरी से शुरू किया जा रहा है।
पहले चरण में ऐशबाग की जगह लखनऊ जंक्शन से 3 ट्रेनों के संचालन की सूचना है जिसका शुभारम्भ खैराबाद में एक भव्य समारोह के साथ रेलमंत्री मनोज सिन्हा करेंगे।
बताते चले कि, लगभग पौने तीन साल के बाद शुरू हो रही इस रेलमार्ग पर रेल सेवा से लखनऊ व सीतापुर का हर तबका खुश नजर आ रहा है लेकिन सबसे ज्यादा दैनिक यात्रियों से भरे इटौंजा क्षेत्रवासियों के दिल मे स्टेशन का दर्जा न दिए जाने का मलाल है।
जब से इटौंजा को हाल्ट बनाये जाने की खबर प्रसारित हुई थी, तक से क्षेत्रवासी व जनप्रतिनिधि विनिन्न आधारों पर इटौंजा को स्टेशन का दर्जा दिए जाने की मांग रेलविभाग से कर रहे हैं लेकिन रेलविभाग ने अब तक उन मांगो को अमलीजामा नही पहनाया और अब तो इस रेलमार्ग पर विधिवत संचालन शुरू होने जा रहा है।
लख़नऊ.सीतापुर का सीमावर्ती लखनऊ जिले का यह आखिरी पड़ाव इस रेलमार्ग के सबसे ज्यादा दैनिक यात्रियों वाला क्षेत्र है जिसमे दूधिये, शिक्षक, वकील, विद्यार्थी, मजदूर आदि लगभग सभी वर्ग सम्मिलित हैं।
9 जनवरी को सीतापुर से पहली ट्रेन सुबह 6:30 पर चलेगी जो लखनऊ 9:20 सुबह पहुंचेगी। दूसरी ट्रेन 1:30 बजे दोपहर को चलेगी जो शाम 4 बजे डालीगंज पहुंचेगी। तीसरी ट्रेन सीतापुर से 3:20 पर चलकर शाम 5:55पर लखनऊ जंक्शन पहुंचेगी।
इसी प्रकार लखनऊ जंक्शन से 9 जनवरी को सुबह पहली ट्रेन 10 बजे चलकर दोपहर 1:50 पर सीतापुर पहुंचेगी। दूसरी 12:25 से चलकर 2:50अपराह्न, तीसरी शाम 6:40 से चलकर सीतापुर में रात 9:30 पर पहुंचेगी।
एक ट्रेन गोरखपुर से सीतापुर के बीच चलने की खबर है। यात्रियों की सुविधा को ध्यान रखते हुए 15009 अप 15010 डा• पैसेंजर के नाम से चलने वाली यह ट्रेन रात 10 बजे गोरखपुर से चलकर सुबह 10:15 पर गोमतीनगर, लखनऊ जंक्शन होते हुए सीतापुर पहुंचेगी।इस ट्रेन का ठहराव इस नए रेलमार्ग पर ऐशबाग से लखनऊ सिटी, डालीगंज व सिधौली भी होगा।
उधर यह रेलमार्ग बन्द होने के बाद वर्षो से बेरोजगार हुए यात्रियों की सेवा करने वाले दुकानदारों में खुशी की लहर दौड़ गयी है।चाय पान व चाट के स्टालों ने लम्बे इंतजार के बाद अपनी दुकानें सजा ली हैं, उन्हें इंतजार है ट्रेनों के संचालन को हरी झंडी का।लगभग तीन वर्षों में इन दुकानदारों के परिवारों ने आर्थिक तंगी का वो मंजर देखा है जो शायद ही कोई देखता हो। इसके अलावा यात्रियों ने रेल यातायात के अभाव में यह वर्ष दिन गिन गिन कर गुजारे है।
अनिल कुमार श्रीवास्तव, संवाददाता
swatantrabharatnews.com