लहू बोलता भी है: जंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- शेख मोहम्मद हनीफ़
आइए, जानते हैं, जंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- शेख मोहम्मद हनीफ़ को,,,,,,,,,,,,,
शेख मोहम्मद हनीफ़ क़स्बा चैनपुरय चम्पारण (बिहार) के रहने वाले थे। अगस्त 1942 के क्विट इण्डिया मूवमेंट में सरगर्म रहनुमाओं में आपका नाम था।
15 अगस्त सन् 1942 के जुलूस में थे (जिसने पोस्ट ऑफिस में आग लगायी थी) लेकिन आप मौक़े पर गिरफ़्तार नहीं हो सके थे। कुछ दिनों के लिए वहां से हटकर कदम कुंआ (पटना) कांग्रेस दफ्तर चले गये थे।
आपकी गिरफ़्तारी के लिए पुलिस ने 500 रुपये का इनाम का एलान कर रखा था। आख़िरकार दिसम्बर सन् 1943 में वालिदा की बीमारी की वजह से चैनपुर अपने घर आये जहां पड़ोस के ही किसी ने मुख़बिरी कर दी। आप गिरफ़्तार कर लिए गये आपको पुलिस ने बड़ी बेदर्दी से मारा जिससे कई जगह की हड्डियां टूट गयी। बड़ी बुरी हालात में भागलपुर जेल भेजे गये जहां इलाज में लापरवाही की बिना पर चलने फिरने से मज़बूर हो गये। किसी तरह ज़िंदगी का वक़्त कटा और अप्रैल सन् 1946 की किसी तारीख में जेल में ही इंतक़ाल कर गये।
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