अयोध्या मामलाः शिया वक्फ बोर्ड के हलफनामे से गरमाई मुस्लिम सियासत
अयोध्या मामलाः शिया वक्फ बोर्ड के हलफनामे से गरमाई मुस्लिम सियासतलखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में हलफनामा देकर मुस्लिम सियासत को और गरमा दिया है। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य इसके औचित्य पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो सुन्नी वक्फ बोर्ड का मानना है कि शिया वक्फ को इसका अधिकार ही नहीं है। हालांकि इसे प्रदेश में शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर उठे विवाद से भी जोड़कर देखा जा रहा है। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष के पैरोकारों का मानना है कि इससे सुप्रीम कोर्ट में चल रहे विवाद पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हम मुकदमे में पक्षकारशिया वक्फ बोर्ड ने यह हलफनामा ऐसे समय में दिया है जबकि वह सपा सरकार में संपत्तियों के दुरुपयोग जैसे कई आरोपों से घिरा हुआ है। हालांकि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी हलफनामे को अपने अधिकारों से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि हम न्यायालय में चल रहे मुकदमे में पक्षकार हैं और अन्य पार्टियों की तरह अपना जवाब रखने का हमें हक है। उससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमने पक्ष कब रखा। यह सुप्रीम कोर्ट देखेगा कि हमने हलफनामा देर में रखा या समय से। दूसरी ओर इस मुकदमे में पैरोकार पूर्व अपर महाधिवक्ता जफरयाब जीलानी मानते हैं कि इस हलफनामे का मुकदमे की सुनवाई पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य सियासी है और यह भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी कहते हैं कि 1946 में यह तय हो चुका है कि मस्जिद पर शिया का हक नहीं है। 71 साल बाद इस मामले को अदालती लड़ाई में उठाना अफसोसनाक है। मस्जिद शिया मीरबाकी ने बनवाई उल्लेखनीय है कि उप्र शिया वक्फ बोर्ड ने हलफनामा दायर करके कहा है कि यह मस्जिद मीरबाकी ने बनवाई थी, जो शिया था। बोर्ड का कहना है कि मस्जिद को रामजन्मभूमि से कुछ दूर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाना चाहिए। बोर्ड की दलील है कि 1946 तक मस्जिद उनके पास थी लेकिन, अंग्रेजों ने गलत कानूनी प्रक्रिया से इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया। वरिष्ठ सदस्य आल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अयोध्या में विवाद मस्जिद का नहीं, बल्कि भूमि का है। इसे शिया-सुन्नी के विवाद के रूप में नहीं देखा जा सकता। शिया वक्फ बोर्ड का हलफनामा औचित्य से परे है। इसका कोई अर्थ नहीं है।By Nawal Mishra Let's block ads! (Why?)