उच्च न्यायालय ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा दायर याचिका खारिज की - परिसरों में सरकारी पुनः प्रवेश को न्यायसंगत ठहराया
अगर याचिकादाता स्वेच्छा से परिसर खाली नहीं करते हैं, तो उस मामले में पीपी अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में सरकार के रास्ते में कोई बाधा नहीं है: उच्च न्यायालय
नई-दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकार द्वारा पारित आदेश 5-ए बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली स्थित परिसरों में पुन: प्रवेश के लिए सरकार के कदम को उचित ठहराया जाता है। अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि याचिकादाता अगर स्वेच्छा से परिसरों को खाली करके दो सप्ताह की अवधि के अंदर, 03 जनवरी 2019 तक, परिसरों का खाली कब्जा नहीं देता है, तो सरकार के लिए परिसर खाली करवाने हेतु पीपी अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने की दिशा में कोई बाधा नहीं है। इस निर्णय के द्वारा न्यायालय ने इस मुद्दे के बारे में सरकार के रूख की पुष्टि की है।
यह उल्लेखनीय है कि एजेएल को 5-ए बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली स्थित .3365 एकड़ भूमि 1962-63 में 1,25,000 रूपये प्रति एकड़ की रियायती दर पर आबंटित की गई थी। इस भूमि पर बेसमेंट के अलावा पांच मंजिलें भवन का निर्माण किया जाना था, जिसमें भूमितल पर प्रेस और अन्य तलों पर कार्यालयों को स्थापित किया जाना था।
हालांकि भूमि के दुरूपयोग के संबंध में अनेक शिकायतें प्राप्त हुई। 9 अप्रैल 2018 को मंत्रालय की जांच टीम ने यह पाया कि परिसरों के किसी भी तल पर कोई प्रिटिंग प्रेस काम नहीं कर रही थी और वहां पर कोई पेपर स्टॉक भी नहीं पाया गया। इससे पहले की गई जांच पड़ताल में भी यह पाया गया था कि भवन के बेसमेंट में जहां प्रेस की मशीनें होनी चाहिए थी, वह खाली पाया गया। इससे आगे यह भी पाया गया कि एजेएल के लगभग सभी शेयर 'यंग इंडियन लिमिटेड' के नाम हस्तांतरित कर दिये गये हैं, जिसका पता वहीं है, जो एजेएल का था। ऐसा मंत्रालय की बिना किसी अनुमति के किया गया। आयकर विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार यंग इंडियन लिमिटेड के 76 प्रतिशत तक शेयर गांधी परिवार के पास हैं और शेष शेयर मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के नाम हैं।
यह भी पाया गया कि एजेएल को दी गई भूमि का प्रेस के कामों के लिए उपयोग करने के बजाय एक फ्लोर को छोड़कर लगभग सारा भवन किराये पर देकर भारी रकम कमाई जा रही थी। इस प्रकार यह भूमि जिस मूल उद्देश्य के लिए आबंटित की गई थी, उसे नकारा गया है। चूंकि ये सभी उल्लंघन सरकार की जानकारी में आए, इसलिए सरकार ने 18 जून 2018 और 24 सितम्बर 2018 को एजेएल को कारण बताओ नोटिस जारी किये। चूंकि एजेएल ने इन उल्लघनों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया, इसलिए मंत्रालय ने 30 अक्टूबर 2018 को परिसरों में पुन: प्रवेश का आदेश जारी कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ एजेएल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
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