लहू बोलता भी है: जंगे-आजादी-ए-हिन्द के मुस्लिम किरदार
आइये जानते हैं, जंंगे आजादी ए हिन्द के मुस्लिम किरदारों को______
काजी फैजुल्लाह:
सन् 1857 से पहले काजी फैजुल्लाह लगभग 18 साल तक कचहरी में सब.रजिस्ट्रार रहे। उसके बाद आपने कारोबार शुरू कर दिया। सन् 1857 में मोईनुद्दीन हसन खान के बाद आप 26 मई को दिल्ली के कोतवाल के ओहदे पर फ़ायज़ किये गये और इस ओहदे की जिम्मेदारी आपने बहुत ही खूब तरीक़े से निभाई, जिसके बदले में बहादुरशाह ने आपको इनाम भी दिया। आपने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ जेहाद के फ़तवे पर दस्तख़त भी किया था। दोबारा सत्ता सम्भालने के बाद अंग्रेज़ों ने क़ाज़ी फैजुल्लाह को फांसी दे दी थी।
बख्तावर शाहः
बख्तावर शाह एक शाही घराने से ताल्लुक रखते थे। बहादुरशाह ने आपको कमाण्डर के ओहदे पर फ़ायज़ किया था। दिल्ली पर कब्जे़ के बाद अंग्रेज़ों ने आपको गिरफ़्तार कर लिया और फ़ौजी कमिश्नर के सामने पेश किया। आप पर मुक़दमा चलाया गया और क्रांति में शिरकत के जुर्म में अंग्रेज़ों ने आपको यमुना की रेत में ले जाकर गोली मार दी।
मिर्जा मुगलः
मिर्जा मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के साहबजादे थे। सन् 1857 में बहादुरशाह ने आपको कमाण्डर-इन-चीफ़ बनाया था। दिल्ली की हार के बाद ऐडसन ने आपको गोली मारकर शहीद कर दिया और आपके सिर को थाल में रखकर तोहफे़ की शक्ल में बहादुरशाह के सामने पेश किया।
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