स्टेशनों पर सफाई के लिए रेलवे ने बनाई योजना
- रेलवे में सफाई कर्मचारी ना के बराबर है, सफाई कार्य ठेकेदारी/आउटसोर्सिंग से हो रहा है तो बायोमैट्रिक मशीनों से किसकी उपस्थिति दर्ज़ होगी?-
- रेलवे में लगभग 20 लाख कर्मचारियों की कमी के कारण एक वर्ष में सात लाख तीस हजार ट्रेन निरस्त हो चुकी हैै तथा संरक्षा, सुरक्षा और समयपालन बद्तर हालत मे।
(एस• एन• श्रीवास्तव, महामंत्री, रेल सेवक संघ)
नई-दिल्ली: अक्टूबर में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा निर्देश मिलने के बाद अब मध्य रेलवे स्टेशन परीसर, प्लैटफॉर्म और ट्रैक के आसपास गंदगी को खत्म करने के लिए योजना तैयार कर रही है।
अक्टूबर में एनजीटी ने रेलवे को प्लैटफॉर्म और ट्रैक की सफाई रखने का निर्देश दिया था। योजना के अंतर्गत थूकने वालों पर कार्रवाई, गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखना, खुले में शौच पर अंकुश लगाना और सफाई-कर्मियों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए बायोमैट्रिक मशीनें लगाने पर ध्यान दिया जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ए और ए-1 श्रेणी के स्टेशनों पर बायोडीग्रेडेबल और नॉन-बायोडीग्रेडबल कचरे को अलग रखने के लिए अलग-अलग रंगों को डस्टबिन लगाए जाएंगे।
ये काम दिसंबर 2019 खत्म होने के साथ पूरा करने की योजना है। इसमें सफाईकर्मियों की उपस्थिति पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।
प्रमुख स्टेशनों पर मार्च 2020 तक सफाई की निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी लगाए जाएंगे। प्लास्टिक बोतलों को नष्ट करने के लिए भी दिसंबर 2019 तक का लक्ष्य रखा गया है। ट्रैक से कचरा उठाने और चूहों पर निगरानी रखने के लिए भी अलग से स्टाफ रखा जाएगा।
मार्च 2020 तक स्थानीय निकाय द्वारा संयुक्त सर्वे कर ट्रैक के पास खुले में शौच रोकने के लिए मोबाइल टॉयलेट्स लगाने की भी योजना है। कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलीटी के तहत मार्च 2021 फंड जुटाकर काम पूरा किया जाएगा। ट्रैक के आसपास से अतिक्रमण हटाने के लिए 650 करोड़ रुपये का फंड दिया गया है, जिसमें दोनों ओर दीवार बनाई जाएगी और पेड़ लगाए जाएंगे।
इस पर प्रतिक्रिया ब्यक्त करते हुए रेल सेवक संघ के महामंत्री- एस• एन• श्रीवास्तव ने रेलवे पर सरकारी धन के दुरूपयोग और योजनाओं के माध्यम से धन को लूटने का आरोप लगाते हुए कहा कि, "सत्यता यह है कि रेेेलवे मेंं सफाईकर्मी ना के बराबर रह गए हैं तथा पिछले कई वर्षों से अधिकांश सफाई कार्य ठेकेदारी/ आउटसोर्सिंग से कराया जा रहा है। पिछले तीस वर्षों सेे भी अधिक समय से रिटायरमेन्ट और कैैटेेेगरी परिवर्तन से रिक्त हुए पदों पर भर्ती ना के बराबर हुई है। तो जब कर्मचारी ही नहीं हैं तो बायोमैट्रिक मशीनों से किसकी उपस्थिति दर्ज की जायेगी।
श्रीवास्तव ने कहा कि, "रेेलवे औसतन लगभग दो हजार ट्रेनों को प्रतिदिन निरस्त कर रही है अर्थात 2000 ट्रेेन × 365 दिन अर्थात एक वर्ष में 7,30,000 ट्रेन (सात लाख तीस हजार ट्रेन) निरस्त करने व तमाम दावों के उपरांत भी रेलवे दुर्घघटनाओं को रोकने व समय से चलाने मेंं पूूूरी तरह फे़ल हो चुुुुकी है।
अतैव रेेलवे सबसे पहले आउटसोर्सिंग और ठेेकेदारी बन्द करके रेलवे में संरक्षा, सुरक्षा और समयपालन को सुुुनिश्चित करने तथा सभी ट्रेनों को संचालित करने के उद्देश्य से अधोसंरचना के अनुुुपात में रिक्त लगभग बीस लाख कर्मचारियों की भर्ती करे और सरकारी खजाने को लूटना बन्द करे।
साभार- मल्टीमीडिया
swatantrabharatnews.com