लहू बोलता भी है: जंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मीर मुस्लिम
आइए जानते हैं, जंंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मीर मुस्लिम को.......
मीर मुस्लिम के वालिद का नाम मौलवी शेख मुगलउद्दीन था। आप अदापुर; मुज़फ्फरपुर (बिहार) के बाशिन्दे थे। जमाते-उलमा-ए-हिन्द के सरगर्म कारकुन थे। वालिद साहब की तरबयित और घर के माहौल ने मीर मुस्लिम को भी जंगे-आज़ादी का सिपाही बना दिया।
आप कांग्रेस और जमाते-उलमा या किसी भी जमात जो हिन्दुस्तान की जंगे-आज़ादी के लिए लड़ रही थी, उनके प्रोग्रामों में दिलचस्पी लेते थे। अगस्त सन् 1942 के क्विट इण्डिया तहरीक के लिए बनी कमेटी के सेक्रेटरी भी थे।
16 अगस्त सन् 1942 के जुलूस की क़यादत कर रहे थे। इसी जुलूस ने बाजपट्टी रेलवे स्टेशन पर हमला करके उसमें आग लगा दी थी। पुलिस और सेना ने ज़बरदस्त फायरिंग की जिसमें सबसे पहली गोली आपको लगी और स्टेशन के प्लेटफार्म पर ही शहीद हो गये आपको बचाने में मोहम्मद इदरीस को भी गोली लगी वो भी शहीद होकर आपके ऊपर ही गिर गये थे।
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