विधान-सभा चुनाव 2018: पाँच राज्यों के चुनावों के परिणाम कांग्रेस के लिए बने संजीवनी
नई-दिल्ली: आज मंगलवार को सम्पन्न हुए प्रदेश चुनावो के परिणाम के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है।
जहाँ एक तरफ भाजपा के लोकप्रियता को बट्टा लगा, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए संजीवनी का काम कर गए। परिणाम महागठबंधन को ऑक्सीजन देने का काम करते दिख रहे हैं।
मध्यप्रदेश में हालांकि भाजपा कांग्रेस की इस जोरदार टक्कर में भाजपा कई जगह कड़ी चुनौती देती नजर आयी लेकिन इस बार नम्बर वन की दौड़ से बाहर रही।
बढ़ती ठंड में चढ़े सियासी पारे के बीच सम्पन्न हुए पांच राज्यो के चुनावों के बाद भाजपा को असफलता के कारणों की समीक्षा करना लाजमी है, क्योंकि जिस तरह एक के बाद एक चुनावी किला फतेह कर रही थी, उसपर गुजरात चुनाव ने भी संकेत दे दिए थे, लेकिन जीत के नशे में मस्त भाजपा ने उस पर बिना होम-वर्क के इन पांचों राज्यो में विजय के प्रति आश्वस्त होकर बिगुल फूंक दिया। परिवर्तन चाह रहे भाजपा शासित प्रदेशों में जातीयता तो हावी रही, लेकिन कोई खास मुद्दे से भाजपाई जनता को लुभा नही सके। कहीं दलित नाराज दिखे तो कहीं सवर्ण। सवर्ण हित को नजरन्दाज कर उन्हें अपना पारम्परिक वोट समझने वाली भाजपा से कुछ मुद्दों पर सवर्ण पार्टी से छिटक गए, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा।
परिणाम आने के बाद भाजपा में तीव्र हलचल देखी जा रही है।आनन-फानन में उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई गई। सम्भवतः हार के कारणों पर समीक्षा कर आगामी चुनाव के मद्देनजर रणनीति बनाई जाएगी।
उधर ये प्रदेश चुनाव, कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर गए। पिछले कुछ दशकों से एक के बाद एक चुनावो पर बैक फुट पर पहुंच रही कांग्रेस के लिए यह निश्चित ही बहुत बड़ी सफलता है।
अब तक मजाकिया समझे जाने वाले कांग्रेसी अध्यक्ष राहुल गांधी का कद इन परिणामो के बाद बढ़ा है। कांग्रेस की इस सफलता ने बिखरे महागठबंधन में ऑक्सीजन का काम दिखाना शुरू कर दिया है। परिणाम के शुरुआती चक्र में ही सपा के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर सकारात्मक संकेत दे डाला। उन्होंने ट्वीट किया की "एक और एक मिलकर होते हैं ग्यारहए जो अच्छी अच्छी सरकारों को कर देते नौ दो ग्यारह"। इस ट्वीट की गणित को सियासी गणितज्ञ गठबंधन के सकारात्मक संकेतो में देख रहे हैं। बहुत सम्भव है कि कांग्रेस की इस सफलता के बाद गैर भाजपाई दल एक होने की तेजी से कोशिश करें, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अभी तक कोई ठोस मुद्दा सामने नही आया है, जिसके बल पर कोई भी दल चुनौती पूर्ण चुनावी वैतरणी को पार कर सके। राम मंदिर तो मुद्दा के स्थान पर भाजपा के लिए परेशानी बन गया है। राफेल मुद्दा प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे टिक न सका। उधर एससीएसटी अधिनियम, आरक्षण आदि से भाजपा का परम्परागत सवर्ण मतदाता खिसकता दिख रहा है। "विकास" ऐसा रामबाण मुद्दा है जो सभी दलों के एजेंडे में नजर आता है।
यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अभी किसी दल के पास ऐसा कोई मुद्दा नही है, जिससे मतदाताओं को अपनी तरफ एकतरफा आकर्षित किया जा सके। आरोप - प्रत्यारोपो का दौर तो हर चुनाव में चलता है और आगामी लोकसभा चुनाव में भी चलेगा। नेताओ से बस कामना है कि, नेता बदजुबानी से बचे रहें। भाजपा को इस घटती लोकप्रियता और मोहभंग होते मोदी जादू पर पुनर्विचार की आवश्यकता है तो कांग्रेस को इन राज्यो में अपने काम और जनहित वाले मुद्दों को तबज्जोह देना होगा। जनता का मूड देखकर लगता है कि आगामी चुनाव में जनहित के मुद्दे ही चुनावी राह आसान करेंगे। सारे मुद्दे फेल करते हुए जनता ने बुनियादी मुद्दों पर मुहर लगाकर लोकतांत्रिक फैसला किया है।इन चुनावों में जनता ने एकतरफा जनादेश न देते हुए प्रमुख दलों के बीच कांटे की टक्कर करवाई और सरकार चुनने के साथ मजबूत विपक्ष भी दिया ताकि सरकार पर अंकुश लगा रहे।रणनीतिकार इसे 2019 लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में भी देख रहे हैं इससे साफ होता है कि इस चुनाव से प्रमुख राजनीतिक दल खासा सबक भी लेंगे।
चुनावी वैतरणी पार कर रहे पंच प्रदेशो के परिणाम इस प्रकार रहे:-
मध्यप्रदेशः
230 विधानसभा सीटों वाले भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश में इस बार 2899 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे थे। लगभग 75.05फीसदी हुए मतदान का परिणाम आज बहुत ही रोमांचक रहा। गिनती के दौरान कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस हावी रही।
सीसीटीवी कैमरा के बीच लगभग 15000 मतगणना कर्मचारियों व अधिकारियों के बीच सम्पन्न हुई मतगणना में कांग्रेस को 113, भाजपा को 110, बसपा 2, एसपी 1 व अन्य को 4 सीटें मिलीं।
यहां मतगणना के अंतिम समय तक बहुमत को लेकर संसय बरकरार रहा।अंत मे बहुमत की लाइन छूते हुए कांग्रेस ने विजय पताका लहराई (अधिकारिक घोषणा की प्रतीक्षा है)।
छत्तीसगढ़:
90 सीटों वाले इस प्रदेश में 29 सीटें अनुसूचित जनजाति व 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। गत चुनाव में 49 सीटों पर परचम लहराने वाली भाजपा इस बार 15 सीटों पर सिमट गई।जबकि कांग्रेस ने 68 सीटों के साथ पूर्ण बहुतमत वाली विजय हासिल कर छत्तीसगढ़ में अपना परचम लहराया।यहाँ जेसीसी (जे) को 5 व बसपा को 2 सीटों से सन्तोष करना पड़ा तो सीपीआई का खाता भी नही खुल पाया। (अधिकारिक घोषणा की प्रतीक्षा है।)।
राजस्थान:
200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान के चुनाव में विगत 7 दिसम्बर को 199 सीटों के लिए मतदान हुआ था, जिसमे 2294 प्रत्याशियों का भाग्य 47437761 कुल मतदाताओं में से 74 फीसदी मतदाताओं ने ईवीएम में बन्द किया था। यहाँ युवाओं की संख्या लगभग 2020156 है। सीधी टक्कर कांग्रेस व भाजपा के बीच थी, जिसमे कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और चुनाव में उसने भारी सफलता प्राप्त की। (मतगणना जारी है।)
मिजोरमः
40 सदस्यीय विधानसभा चुनाव मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट ने बाजी मारते हुए विरोधी दलों को पटखनी दी। इससे पूर्व चुनाव में कांग्रेस हावी थी। यहां एमएनएफ को 26; कांग्रेस 5; भाजपा 1 अन्य को 8 सीटें मिली, जबकि प्रिज्म पार्टी का खाता ही नही खुला।
तेलंगाना:
119 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य के इस विधानसभा चुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति 88सीटों पर जीत हासिल करके भाजपा व कांग्रेस को करारी शिकस्त देते हुए प्रचंड बहुमत हासिल किया।
अनिल कुमार श्रीवास्तव, संवाददाता
swatantrabharatnews.com