
लहू बोलता भी है: जंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मौलाना जहूर मोहम्मद खान
आइए, जानते हैं,
मौलाना ज़हूर मोहम्मद खान को________
मौलाना जहूर मोहम्मद खान सहारनपुर (यू• पी•) के रहनेवाले थे। देवबंद में आला तालीम हासिलकर आप वहीं रहकर तालीम देने का काम अंजाम देने लगे।
आप शेखु-उल-हिन्द के भरोसेमंद लोगों में से थे, इसलिए तहरीक के कामों में आपको ज़िम्मेदारी की जगहों पर लगाया जाता था। रेशमी रूमाल तहरीक के शुरुआती दौर में मौलाना ज़हूर साहब ने ज़बरदस्त मेहनत और जे़हानत से काम को अंजाम दिया। बाद में आप मदरसा रहमानिया (रुड़की) के सदर बने। तहरीक के लिए मेम्बर बनाने व चंदा इकट्ठा करने का काम भी आप बहुत ज़िम्मेदारी से करते थे। तहरीक नाकामयाब होने के बाद आपको भी गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद आपको इलाहाबाद में सी•आई•डी• के हेडक्वार्टर ले जाया गया जहां आपके साथ बहुत ही सख्तियां करके जंगे.आज़ादी की तहरीकों का राज मालूम करने की अंग्रेज़ अफसरों ने कोशिशें कीं लेकिन आप पिटने के बाद भी गूंगे-बहरे की तरह बने रहे; यहां तक कि अपनी चोट पर भी आपने आह नहीं निकाली।
आजिज़ आकर अफ़सरों ने आपको रिहा कर दिया। आपने तहरीके ख़िलाफ़त में भी हिस्सा लिया था। आपके बारे में बाद की तफ़सील नहीं मिल पायी है।
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