लहू बोलता भी है: जंग ए आजादी ए हिन्द के मुस्लिम किरदार- काजी इनायत अली
आइये जाानते हैं, जंग ए आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- काजी इनायत अली को________
काज़ी इनायत अली
इनायत अली थाना भवन (मुज़फ़्फ़रनगर) के बड़े ज़मींदार और रईसों के ख़ानदान से थे। आपके घराने के लोग मुल्क की आज़ादी के हामी थे।
सन् 1857 की पहली जंगे-आज़ादी में आप अपने इलाके में अंग्रेज़ फ़ौज की आमद में हमेशा अपने साथ के नौजवानों को लेकर मज़ाहमत करते थे। इसी दौरान एक दिन आपने आमने-सामने की मर्दाना जंग भी लड़ी, जिसमें 4 अंग्रेज़ सिपाही मारे गये और बाक़ी भाग गये।
एक दिन आपको ख़बर लगी कि आज रात इधर से अंग्रेज़ फौज असलहे लेकर जायेगी।आपने मोर्चाबंदी करके सारे कारतूस और असलहे लूट लिये और रात ही में अपने साथियों के साथ हमला बोलकर शामली तहसील को लूट लिया। वहां जो अंग्रेज़ मौक़े पर थे, सब भाग गये। तब आप सभी साथियों को वापस भेजकर खुद नजीबाबाद की तरफ चले गये।
तिलमिलाये अंग्रेज़ अफसरों ने दूसरे दिन भारी सेना लेकर थाना भवन की ईंट-से-ईंट बजा दी। इनायत अली की कोठी को ज़मींदोज़ कर दिया गया और पूरे क़स्बे को खण्डहर बना दिया गयाऋ मगर सारी कोशिशें बेकार गयी, क्योंकि काज़ी साहब को अंग्रेज़ गिरफ़्तार नहीं कर सके। उसके बाद अंग्रेज़ों का सरकारी अमला बराबर आपको तलाश करता रहा, लेकिन पकड़ नहीं पाया।
काज़ी साहब उसके बाद लौटकर नहीं आये। कुछ लोगों का मानना है कि नजीबाबाद की जंग में आप शहीद हो गये, लेकिन इसके बारे में भी कोई मोतबर ख़बर नहीं थी।
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