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लहू बोलता भी है: जंगे आज़ादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मोहम्मद अब्दुर्रहमान
आइए जानते हैं, जंगे आज़ादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मोहम्मद अब्दुर्रहमान को_____
मोहम्मद अब्दुर्रहमान
मोहम्मद अब्दुर्रहमान की पैदाइश सन् 1898 में केरल में हुई थी। आपके घर का माहौल मुल्क की आज़ादी की जद्दोजहद का हमनवा रहा है।
इसी माहौल में पले-बढ़े होने की वजह से आप में भी अंग्रेज़ों के खि़लाफ़ लड़ने का हौसला बचपन से ही था। आपने पढ़ाई के बाद कुछ नौजवानों के साथ मिलकर भारतीय-स्वतंत्रता-संघर्ष- सेनानी-संगठन बनाया और उसी के ज़रिये अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ हर ज़ुल्मों-ज्यादती का मुक़ाबला करने को तैयार रहते थे।
केरल के किसी भी हिस्से में जब भी अंग्रेजों की ज़्यादती की शिकायत मिली, तो आप अपने संघर्ष-सेनानियों की टीम लेकर महाज़ पर डट जाते और अंग्रेज़ी अफ़सरों का बहादुरी से मुक़ाबला करते।
आप केरल कांग्रेस कमेटी में भी अहम मुक़ाम रखते थे। कांग्रेस कमेटी के फैसले के मुताबिक सन् 1921 में आपको मोपला के दंगा पीड़ितों की मदद के लिए भेजा गया। वहां पहुचते ही आपको गिरफ़्तार कर लिया गया, मुक़दमा चला और 2 साल की क़ैद की सज़ा हुई।
सन् 1930 में नमक-सत्याग्रह के दौरान आप कालीकट-बीच पर नमक-क़ानून की खि़लाफवर्जी करते हुए गिरफ्तार किये गये। इस सत्याग्रह में ज़बरदस्त लाठीचार्ज भी हुआ और जिसमें काफी लोग घायल हुए थे। आपको 9 महीने की क़ैद बा-मशक्कत की सज़ा हुई और सज़ा के लिए आपको कानपुर की सेन्ट्रल जेल में भेजा गया, जहां आपने सज़ा पूरी की।
आप नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को अपना आइडियल मानते थे और उन्हीं के साथ आज़ाद हिन्द फ़ौज के कामों में दिलचस्पी लेते रहे। नेताजी की बनाई फ़ारवर्ड ब्लाक पार्टी के भी आप अहम कारकुन थे। दूसरे जंगे-अज़ीम के बाद आप जब हिन्दुस्तान आये, तो अंग्रेजी़ हुकूमत ने आपको गिरफ्तार करके सन् 1940 में 5 साल कैद की सज़ा दे दी।
सज़ा ख़त्म होने के बाद आप अपने गांव पोट्टाचेरि (चिकमंगलूर) आ गये और वहां कांग्रेस के कामों में लग गये। वहीं 23 नवम्बर सन् 1945 को आप इंतकाल कर गये। आपके मकान को केरल सरकार ने यादगार के लिए म्युज़ियम बना दिया, जिसका नाम नसरुल इस्लाम संग्रहालय रखा गया है।
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