अमृतसर रेल हादसा: यहाँ कम से कम 20 वर्षों से हो रहा था पुतला दहन- अमृतसर में शोक का माहौल, घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश
- अधिकारियों ने बताया कि अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
- स्थानीय लोगों ने बताया कि रावण के पुतले का दहन यहां कम से कम 20 वर्षों से हो रहा था।
अमृतसर: (भाषा) दो संगठनों के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा कार्यक्रम के बारे में रेलवे को सूचित नहीं किया गया था और नगर निकाय ने भी इसकी अनुमति नहीं दी थी।
अमृतसर में जोड़ा फाटक के निकट शुक्रवार की शाम को रावण दहन देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े लोग एक ट्रेन की चपेट में आ गए थे जिससे कम से कम 59 लोगों की मौत हो गई और 57 अन्य घायल हो गए।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दुर्घटनास्थल जोड़ा फाटक और अस्पतालों का दौरा किया और घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिये हैं।
अधिकारियों ने इससे पूर्व बताया था कि इस हादसे में 61 लोगों की मौत हो गई।
सिंह ने पत्रकारों को बताया कि नौ लोगों को छोड़कर ज्यादातर शवों की पहचान कर ली गई है। हादसे में मारे गये ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासी कामगार हैं।
अधिकारियों ने बताया कि अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि रावण के पुतले का दहन यहां कम से कम 20 वर्षों से हो रहा था।
अमृतसर नगर निगम ने बताया कि कोई अनुमति नहीं दी गई थी।
आयुक्त सोनाली गिरि ने यहां बताया,‘‘दशहरा आयोजन के लिए किसी को भी अनुमति नहीं दी गई थी। इसके अलावा, अमृतसर नगर निगम के पास अनुमति के लिए किसी ने भी आवेदन नहीं किया था।’’
मध्यरात्रि मौके का दौरा करने वाले रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने कहा कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा कार्यक्रम के बारे में विभाग को सूचित नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि यह हादसा दो स्टेशनों- अमृतसर एवं मनावाला के बीच हुआ, न कि रेलवे फाटक पर।
लोहानी ने रेलवे कर्मचारियों द्वारा भीड़ जमा होने की जानकारी नहीं देने के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा, “बीच के रास्ते पर ट्रेनें अपनी निर्धारित गति से चलती हैं और यह उम्मीद नहीं होती कि लोग पटरियों पर मौजूद होंगे। बीच के खंड पर रेल कर्मचारी तैनात नहीं होते हैं । रेलवे फाटक पर कर्मी होते हैं जिनका काम यातायात नियंत्रित करना है।’’
इस हादसे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे एक प्रदर्शनकारी सुजीत सिंह ने पूछा,‘‘सरकार ने सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध क्यों नहीं किये थे। रेलवे पटरी के निकट इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने की अनुमति क्यों दी गई।’’
हादसे में अपने 18 वर्षीय पुत्र मनीष को खोने वाले विजय कुमार ने कहा कि यह खौफनाक रात थी।
अब ज्वलंत प्रश्न यह है कि 20 वर्षों से हो रहे इस कार्यक्रम की अनुमति यदि किसी ने नहीं ली तो इसे रोका क्यों नहीं गया?-
और यह कह कर पल्ला झाड़ देने से मुख्यमंत्री, रेलमंत्री और स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही खत्म हो जाती है तो यह शर्मनाक और घृणित है!
(साभार- भाषा & संपादित)
swatantrabharatnews.com