अमृतसर रेल हादसा: आखिर जवाबदेही किसकी ?- प्रशासन मौन और रेलवे का कहना है कि, ‘अतिक्रमण का सीधा मामला’, कार्यक्रम के लिये कोई इजाजत नहीं दी गई।
अमृतसर रेल हादसा:
दशहरे के दिन 5 सेकेंड, जिसमें मौत' बनकर आई ट्रेन और बिछ गईं 61 लाशें, मचा तबाही का मंजर, लेकिन जनता के प्रति किसी की कोई जवाबदेही नहीं!
जिम्मेदार न प्रशासन है और न रेलवे!
गलती तो शायद आम जनता की ही है जिसका काम केवल भारी टैक्स देना और वोट देना रह गया है तथा उन जनसेवकों/ नेताओं और नौकरशाहों को पालना है जिनमें नैैतिकता है ही नहीं!
संपादक
नई-दिल्ली: अब देखिये भाषा द्वारा प्रकाशित खबर मेें बताया गया है कि, दशहरे के मौके पर अमृतसर के पास हुए हादसे को लेकर रेलवे का कहना है कि पुतला दहन देखने के लिए लोगों का वहां पटरियों पर एकत्र होना ‘‘स्पष्ट रूप से अतिक्रमण का मामला’’ था और इस कार्यक्रम के लिये रेलवे द्वारा कोई मंजूरी नहीं दी गई थी।
अमृतसर प्रशासन पर इस हादसे की जिम्मेदारी डालते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों को दशहरा कार्यक्रम की जानकारी थी और इसमें एक वरिष्ठ मंत्री की पत्नी ने भी शिरकत की।
रेलवे अधिकारियों ने कहा, ‘‘हमें इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी और हमारी तरफ से कार्यक्रम के लिये कोई मंजूरी नहीं दी गई थी। यह अतिक्रमण का स्पष्ट मामला है और स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’’
इतनी भीड़ होने के बावजूद रेल चालक द्वारा गाड़ी नहीं रोके जाने को लेकर सवाल उठने पर अधिकारी ने कहा, ‘‘वहां काफी धुआं था जिसकी वजह से चालक कुछ भी देखने में असमर्थ था और गाड़ी घुमाव पर भी थी।’
जनता जानना चाहती है कि, "माँ की सूनी गोद, उजड़ी माँग और सिर से उठे साये का आखिर कौन है जिम्मेदार?-"
क्या यही जवाबदेही है और यही लोकतांत्रिक व्यवस्था?-
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