अभीअभी: यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने दिया इस्तीफा
नई-दिल्ली: कई महिलाओं का यौन शोषण करने के आरोपों से घिरे केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया।
एमजे अकबर की ओर से जारी बयान में उन्होंने कहा है, ‘जैसा कि मैंने अदालत के ज़रिये न्याय लेने के निर्णय किया है।
इसलिए अब मैंने अपना पद छोड़ने छोड़ने का निर्णय लिया है, ताकि अपने ख़िलाफ़ लगे झूठे आरोपों को चुनौती दे सकूं. मैंने अपना इस्तीफा विदेश मंत्रालय को भेज दिया है।’
अकबर ने आगे कहा है, ‘देश की सेवा करने का अवसर देने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय विदेश सुषमा स्वराज का तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूं।'
मालूम हो कि पूर्व पत्रकार एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का सबसे पहला आरोप वरिष्ठ पत्रकार प्रिया रमानी ने लगाया था. इसके बाद तकरीबन 15 से 16 महिलाओं ने एमजे अकबर के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। ठ
मालूम हो कि बीते 15 अक्टूबर को यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ एमजे अकबर ने नई दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में एक निजी आपराधिक मानहानि का मुक़दमा दायर किया था।
अपनी याचिका में अकबर ने रमानी पर जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया था और इसके लिए उनके ख़िलाफ़ मानहानि से जुड़े दंडात्मक प्रावधान के तहत मुक़दमा चलाने का अनुरोध किया है।
याचिका में कहा गया था कि आरोपों की भाषा और सुर पहली नज़र में ही मानहानिपूर्ण हैं और इन्होंने न केवल उनके (अकबर) सामाजिक संबंधों में उनकी प्रतिष्ठा और साख़ को नुकसान पहुंचाया है बल्कि समाज, मित्रों और सहयोगियों के बीच अकबर की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है।
आरोपों ने अपूरणीय क्षति की है और अत्यंत दुखद हैं।
अपने ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर होने के बाद प्रिया रमानी ने कहा था, ‘मैं बेहद निराश हूं कि एक केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं के व्यापक आरोपों को राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए ख़ारिज कर दिया।’
उन्होंने कहा था, ‘मेरे ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मामला दायर करके अकबर ने उनके ख़िलाफ़ लगाए कई महिलाओं के गंभीर आरोपों का जवाब देने के बजाय अपना रुख़ स्पष्ट कर दिया।
वह डरा धमकाकर और प्रताड़ित करके उन्हें चुप कराना चाहते हैं।’
इस बीच पत्रकार प्रिया रमानी के समर्थन में ‘द एशियन एज’ अखबार में काम कर चुकीं 20 महिला पत्रकार सामने आई हैं।
इन पत्रकारों ने अपने हस्ताक्षर कर संयुक्त बयान में कहा, ‘रमानी अपनी लड़ाई में अकेली नहीं है।
हम मानहानि के मामले में सुनवाई कर रही माननीय अदालत से आग्रह करते हैं कि याचिकाकर्ता के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं की गवाही पर विचार किया जाए जो इस उत्पीड़न की गवाह थीं।’
इन महिला पत्रकारों में मीनल बघेल, मनीषा पांडेय, तुषिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु हौजेल, आयशा खान, कुशलरानी गुलाब, कनीजा गजारी, मालविका बनर्जी, एटी जयंती, हामिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा, रेशमी चक्रवर्ती, किरण मनराल और संजरी चटर्जी शामिल हैं।
(साभार: द वायर)
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