ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिकी राष्ट्रपति की गुंडई की भाषा - संयुक्त राष्ट्र संघ को ट्रम्प के बयान की निंदा करना चाहिये: रघु ठाकुर
नई-दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान से तेल खरीदने की करार पर भारत को देख लेने की धमकी दी जिसपर तीखी प्रतिक्रिया ब्यक्त करते हुए प्रख्यात समाजवादी चिंतक व विचारक तथा लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- रघु ठाकुर ने कहा कि, "कुछ दिनो से अमेरिकी राष्ट्रपति की भाषा गुंडई भाषा जैसी लगती है। संयुक्त राष्ट्र संघ को ट्रम्प के बयान की निंदा करना चाहिये ।
आईये जानते हैं कि मामला क्या है_____
अमेरिका चाहता है कि ईरान से तेल न खरीदे भारत, इस पर भी अमेरिका को ऐतराज है। ईरान से तेल सौदे को लेकर एक दिन पहले ही ट्रम्प ने कहा था- भारत को इसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। अब फिर वॉशिंगटन से जारी समाचार के अनुसार ईरान से तेल सौदों को लेकर अमेरिकी प्रशासन ने भारत को दूसरी बार धमकी दी है और कहा कि ईरान से तेल की सौदेबाजी भारत के लिए फायदेमंद साबित नहीं होगी। हम भारत के इन सौदों की बड़ी सावधानी से समीक्षा कर रहे हैं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि रूस से डील भारत को भारी पड़ेगी।
अमेरिका ने ईरान से 2015 में हुए बहुपक्षीय समझौते को खत्म कर दिया था। इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सहयोगी देशों पर ईरान से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अमेरिका ने सभी मित्र देशों से ईरान से तेल आयात ना करने की अपील की है। अमेरिका ने इसके लिए 4 नवंबर तक की डेडलाइन तय की है और कहा है कि तब तक ईरान से तेल आयात शून्य कर दिया जाए।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीदर नुअर्ट ने कहा- हमने कई सहयोगियों से इन प्रतिबंधों को लेकर बातचीत की है। हमने सभी देशों के सामने अपनी नीति स्पष्ट कर दी है। ट्रम्प का साफ कहना है कि ईरान के बुरे इरादों को पहचानना और उसके खिलाफ सभी का साथ आना जरूरी है।
नुअर्ट ने कहा- भारत को जल्द ही इस बारे में पता चलेगा। हम इस मुद्दे को देख रहे हैं। ईरान से तेल खरीदने और रूस से एस-400 सिस्टम खरीदने जैसे घटनाक्रमों की अमेरिका गंभीरता के साथ समीक्षा कर रहा है।
भारत के तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि दो तेलकंपनियों ने नवंबर के लिए ईरान से कच्चा तेल मंगवाने का ऑर्डर दे दिया है। इस पर नुअर्ट ने कहा- हमें इस तरह की रिपोर्ट मिली हैं। पिछले महीने विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की भारत यात्रा के दौरान भी ये मुद्दा उठा था। इस बारे में ट्रम्प ही फैसला करेंगे और वे कह चुके हैं कि हम इसका ख्याल रखेंगे।
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