
विशेष: मेरे बच्चे की मृत्यु पर आप दुखी क्यों हो रहे हो: लोकबन्धु राजनारायण जी
लखनऊ: स्व. लोकबंधु राजनारायण जी के विचारो और जीवन संघर्षो को अगर लिखा जाए तो पुरे ग्रंथ की रचना हो जाए. एक शाही परिवार से होने के वावजूद जो उन्होंने जमींदारी उन्मूलन, जाति तोड़ो आन्दोलन, दलितों और मजदूरो के लिए जो संघर्ष जमीनी स्तर पर किया वह बहुत ही प्रेरणा दायक है. उनके जीवन में ऐसे बहुत सारे संस्मरण है जो भुलाये नहीं जा सकते.
एक बार राजनारायण जी लखनऊ में किसी विशाल जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे. मंच पर डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी समेत और भी बहुत सारे वरिष्ठ समाजवादी नेता मौजूद थे कि तभी अचानक राजनारायण जी के गाँव से उनके बड़े पुत्र गोपाल के निधन का दुखद समाचार मिलता है. उन्हें विलम्ब ना करते हुए शीघ्र घर आने के लिए लिखा गया होता है. यह दुखद समाचार राजनारायण जी तक पहुचाने का किसी का साहस नहीं हो रहा था. जब डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी को यह बात पता चली तो उन्होंने राजनारायण जी को यह दुखद समाचार देते हुए शीघ्रातिशीघ्र बनारस जाने के लिए कहते है लेकिन वो बनारस जाने के लिए मना कर देते है और जनसभा को पहले की तरह सम्बोधित करते रहते है.
अपने पुत्र की मृत्यु का दुखद समाचार सुनकर भी राजनारायण जी के चेहरे पर जरा सा भी शिकन नही होता है वो तनिक विचलित भी नहीं होते है. जब जनसभा समाप्त हुई तो डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी ने उनसे पूछा कि आप बनारस गए क्यों नही? तो उन्होंने कहा “देश में हज़ारो बच्चे रोज़ मर रहे है कोई भूख से तो कोई बिमारी से, उनके मरने पर लोगो को दुःख नहीं होता है तो मेरे बच्चे के मरने पर लोग क्यों दुखी हो रहे है.” इतना सुनते ही डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी स्तम्भित हो गए.
स्व.लोकबंधु राजनारायण जी ऐसे निष्पक्ष, ईमानदार, लौहपुरुष थे।
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