
●क्रमश:2● रेलवे अस्पताल में भ्रष्टाचार: भ्रष्ट डाक्टर रस्तोगी ने RDSO को रेफरबैक करने तथा दवाओं के पूरे नाम लिखने व डोज तथा दवा की अवधि बताने से किया इन्कार- मरीज को दी धमकी!
लकवा से पीड़ित कर्मचारी को ट्रैकमैन के लिए फिट सर्टिफिकेट देने और न्यूरो से पीड़ित कर्मचारी को मेडिकल कॉलेज या PGI रेफर नहीं कर हड्डी के डाक्टर द्वारा गलत इलाज करने के बाद रक्त जाँच की HIV+ की गलत रिपोर्ट व दवाओं का पूरा नाम नहीं लिखने व डोज तथा दवा की अवधि नहीं बताने का मामला सामने आया।
लखनऊ: आज-कल जहाँ रेल मंत्री व रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष भारतीय रेलवे में विकास का ढिढोरा पीट रहे हैं, वहींं रेलवे के कार्यरत व रिटायर्ड रेलवे कर्मचारियों को रेलवे अस्पताल मेंं पहले की तरह इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विसेज (IRMS) के डाक्टर्स व विशेषज्ञों व अन्य मेडिकल स्टाफ की तैनाती के आभाव में रेलवे अस्पताल में नियुक्त ठेेेके के डाक्टर्स व रेलवे अस्पतालों के साथ अटैैच प्राइवेट अस्पताल के मनमाने रवैया और लापरवाही तथा भ्रष्टाचार का शिकार होना पड़ रहा है।
स्थिति यह है कि रेलवे बोर्ड मंडलीय चिकित्सालय में निर्धारित मानकों के बिपरीत लखनऊ के मंडलीय व अतिरिक्त मंडलीय चिकित्सालय में रेलवे के आर्थोपैडिक डाक्टरों व अन्य विशेषज्ञ IRMS सेवा के डाक्टरों की तैनाती नहीं कर रहा है, जबकि यहाँ लोको कारखाना, सवारी व मालडिब्बा कारखाना, पुल कारखाना व मंडलीय मुख्यालय के साथ-साथ रेलवे का एकमात्र अनुसंधान व अभिकल्प मानक संगठन RDSO भी है जिसके हजारों परिवार ठेकेदारी व भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो आज-कल कार्यरत व रिटायर्ड रेलवे कर्मचारियों को भारतीय रेलवे के विशेष अस्पताल में शामिल लखनऊ के "इनडोर रेलवे अस्पताल व उसमें नियुक्त ठेके के हड्डी के डाक्टर शिशिर कुमार रस्तोगी और रेलवे अस्पताल से अटैैच प्राईवेट अस्पताल में "अजन्ता हास्पीटल" के आपसी गठजोड़ के साथ-साथ दुर्ब्यवस्थाओं, मनमाना रवैया व नये प्रकार के भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं।
● ऐसा ही एक मामला तूूूल तब पकड़ लिया जब लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष- रिटायर्ड रेलवे इंजीनियर- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव को अजन्ता हास्पीटल में रेफर किया गया जहाँ इनडोर रेलवे अस्पताल केे ठेके के डाक्टर व मान्यता प्राप्त प्राइवेट अस्पताल ने गलत जाँच रिपोर्ट (HIV+) निकालकर व अन्य आधारोंं पर मानसिक यातना तक देेेेने और उनके दुुर्घटनाग्रस्त दाहिने पैर की टूटी कटोरी (पटेला) की सर्जरी (आपरेशन) करनेे से इंकार कर दिया गया और जब उनके व उनके साथियों द्वारा पुनः रक्त जाँच कराने हेतु दबाव डाला गया तब कैशलेस इलाज होने के उपरान्त भी पैसे लेकर रक्त के जाँच हेतु दोो बार किट खरिदवाई गई।
दोनों बार रक्त की जाँच रिपोर्ट (HIV - ) अर्थात ठीक आने पर भी आपरेशन टाला गया और कहा गया कि बाहर से एक बार और जाँच होगी।
दूसरे दिन बाहर की भी जांच रिपोर्ट ठीक आने पर किसी तरह शाम को आपरेशन हुआ। फिर तीसरे दिन RDSO रेफरबैक करने के स्थान पर डिस्चार्ज कर घर भेेज दिया गया और डा• रस्तोगी ने 10 दिन की दवा लिखकर टाॅका काटने के लिए इनडोर रेलवे अस्पताल में 10 दिन बाद बुलाया जहाँ पहुँचने के बाद डाक्टर ने ड्रेसर से कच्चा प्लास्टर और टाँका कटवा कर टाॅका देखने के और X-Ray कराने की मरीज की प्रार्थना को अस्वीकार कर बिना देखे 30 दिन के लिए पक्का प्लास्टर करवा दिया और पर्चा पर दवा शार्ट में लिख दिया। दवा की खिड़की बन्द हो चुकी थी।
जब बाजार से दवा मॅगाई गई तो मेडिकल स्टोर ने पूरा नाम डाक्टर से लिखाने को कहा गया।
मरीज ने जब डाक्टर से दवा का पूरा नाम लिखने व डोज तथा दवा की अवधि बताने का आग्रह किया तो डाक्टर रस्तोगी ने दवाओं के पूरे नाम लिखने व डोज तथा दवा की अवधि बताने से इंकार करते हुए रेलवे से ही फ्री में दवा लेने का टान्ट किया जिससे स्पष्ट रूप से प्रतीत होने लगा कि डाक्टर अवांछित सेवा शुल्क नहीं मिलने के कारण जानबूझकर मरीज को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहा है, जिससे क्षुब्ध होकर मरीज ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष व रेलमंत्री को ट्वीट कर शिकायत की तथा RDSO के अतिरिक्त मंडलीय चिकित्सालय के CMS को ई- मेल भेजकर IRMS के रेलवे डाक्टर्स व विशेषज्ञ की टीम से सारे मामले की जाँच कराने व रेलवे में IRMS के हड्डी रोग विशेषज्ञ के तैनाती की मांग की।
जब डाक्टर रस्तोगी का मामला शोसल मीडिया और न्यूज़ में आया तो डाक्टर ने उनके भ्रष्टाचार को सिद्ध करने व डिफर्मेशन सूट केश करने की धमकी दे डाली।
मरीज- श्रीवास्तव ने, जो रेल सेवक संघ के महामंत्री और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और वे अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूती से लड़ने के लिए जाने जाते हैं, ने इनडोर रेलवे अस्पताल व उसके ठेके के डाक्टर रस्तोगी व रेलवे से अटैच प्राइवेट अस्पताल- अजन्ता हास्पीटल की लापरवाही व पनप रहे एक नये तरीके के भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए तथा प्राइवेट डाक्टर्स के स्थान पर रेलवे के इस विशेष दर्जा प्राप्त अस्पताल में मानक के अनुरूप IRMS डाक्टर्स व विशेषज्ञ की तैनाती तथा मेडिकल स्टाफ की तैनाती के लिए कार्यवाही तेज कर दी है।
रिपोर्टर ने जब इस हड्डी रोग विशेषज्ञ के डाक्टर रस्तोगी की पड़ताल की तो जो तथ्य सामने आए, वह चौकाने वाले हैंं जिसस प्रतीत हो रहा है कि इनकी सांठ गांठ काफी गहरी है इनका आचरण भ्रष्ट है जिसकी स्वतंत्र एजेंसी से जाँच होनी चाहिए।
उक्त डाक्टर के गलत इलाज और आचरण का एक मामला मीीडिया और अखबारों में आ भी चुका है।
"हिन्दुस्तान" में "न्यूरो की परेशानी इलाज कर रहे हैं हड्डी के डाक्टर, रेलकर्मी ने की शिकायत" शीर्षक से गत 09 दिसम्बर 2017 को छपी इस खबर में बताया गया है कि,
"रेल कर्मचारी ने दी आत्महत्या की धमकी"
"मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने दिए जांच के आदेश"
रेलवे के अजब गजब कारनामों से सिर्फ यात्री नहीं बल्कि रेल कर्मचारी भी परेशान है। रेल यात्रियों को सुरक्षित यात्रा कराने वाले लोको पायलट की सेहत के साथ रेलवे डाक्टर खिलवाड़ कर रहे हैं। काफी समय से न्यूरो की बीमारी से पीड़ित लोको पायलट का इलाज हड्डी के डाक्टर कर रहे है। लोको पायलट की शिकायत के बाद भी उसे अब तक पीजीआई रिफर नहीं किया गया है। नाराज लोको पायलट ने रेल अधिकारियों को आत्महत्या की धमकी भी दी है। इससे रेलवे डाक्टर लकवा से पीड़ित रेल कर्मचारी को ट्रैकमैन की ड्यूटी के लिए फिटनेस सार्टिफिकेट दे चुके हैं। इस पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लाहोनी ने डीआरएम से मामले की जांच करने को कहा था।
गोरखपुर निवासी रंजीत कुमार सहायक लोको पायलट फैजाबाद क्रू लॉबी में तैनात हैं। परिवार के अनुसार रंजीत कुमार न्यूरो की बीमारी से पीड़ित है। उसका दाहिना पैर पतला हो गया है। रंजीत कुमार ने 20 नवंबर को रेलवे मंडल अस्पताल में तैनात हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. शिशिर कुमार रस्तोगी से उपचार कराया। इसके पहले रंजीत कुमार ने गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कालेज से संबद्ध नेहरू चिकित्सालय की ओपीडी में अपना इलाज कराया। डॉक्टरों ने उसे केजीएमयू या पीजीआई ले जाने की बात कही। परिवारवाले रंजीत कुमार को लखनऊ इंडोर अस्पताल लेकर आ गए। परिवारवालों का आरोप पहले तो अस्पताल रंजीत कुमार को भर्ती करने से इंकार कर दिया। दो दिन तक भर्ती रखने के बाद भी यहां के हड्डी रोग विशेषज्ञ ने उनको पीजीआई के लिए रिफर नहीं किया जबकि रेलवे पीजीआई में रेल कर्मचारियों का इलाज कैशलेस कर चुका है। इससे नाराज रंजीत कुमार ने अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से पत्र लिख कर शिकायत की है।
क्रमश: जारी.....
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