खामोशी से आगे बढ़ते हुए हिन्दी विश्व भाषा बन चुकी है : विदेश राज्यमंत्री अकबर
पोर्ट लुई: भाषा: विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने आज जोर दिया कि बहुत ही खामोशी से बढ़ते हुए हिन्दी आज विश्व भाषा बन गई है और जो हम नहीं देख रहे हैं, वह पूरी दुनिया देख रही है ।
11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन सत्र में इसके सफल आयोजन के लिये आभार व्यक्त करते हुए अकबर ने कहा, ‘‘ जब इतिहास बदलता है तब इतनी खामोशी से बदलता है कि इसकी आहट सुनाई नहीं देती है। हिन्दी के साथ ऐसा ही हुआ । ’’ उन्होंने कहा कि यहां सम्मेलन में ऐसी सुगबुगाहट सुनने को मिली कि हिन्दी कब विश्व भाषा बनेगी ? विदेश राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘ मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि हिन्दी विश्व भाषा बन चुकी है । ’’ उन्होंने कहा कि हिन्दी ने संस्कृत से प्रेरणा ली है । दो हजार साल पहले संस्कृत सांस्कृतिक शक्ति के कारण बढ़ी । आज मानव शक्ति के माध्यम से हिन्दी बढ़ रही है।
अकबर ने कहा, ‘‘ बहुत खामोशी से बढ़ते हुए हिन्दी काफी आगे निकल गई है । जो हम नहीं देख पा रहे हैं, उसे पूरी दुनिया देख रही है । ’’ उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया सहित दुनिया के अनेक देशों में जब हम हवाई अड्डे पर जाते हैं तब वहां टीवी पर हिन्दी सिनेमा, हिन्दी धारावाहिक देखने को मिलता है। बगदाद और दमिस्क में मेरा ऐसा ही अनुभव रहा । मारिशस में भी हिन्दी का प्रभाव स्पष्ट तौर पर देखने को मिलता है।
एम के अकबर ने कहा कि तीन दिन पहले जब हम यहां आए तब हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हमारे बीच से जाने के शोक का साया था । आज हमारा मन थोड़ा हल्का हुआ क्योंकि विश्व हिन्दी सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ है। हिन्दी अटलजी के दिल की आवाज थी, हिन्दी उनके मन की आवाज थी, उन्होंने हिन्दी को नया रास्ता दिया । मारिशस अटलजी के दिल के बेहद करीब था ।
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि आज इस सम्मेलन ने दोनों देशों की मैत्री और एकता को नयी रूह दी है । यहां आने पर हमें लगा कि हम यहां की सरकार के अतिथि नहीं बल्कि इस देश की जनता के अतिथि हैं । यह भाव हम सभी को यहां देखने को मिला ।
उन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिये मारिशस के मार्गदर्शक मंत्री अनिरूद्ध जगन्नाथ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपके संबोधन से स्पष्ट हुआ कि हिन्दी का इतिहास ही नहीं बल्कि हिन्दी का भविष्य भी है ।
अकबर ने कहा कि सम्मेलन की कल्पना से लेकर आयोजन तक हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का योगदान अभूतपूर्व है । भोजपुरी में कहें तो ‘सम्मेलन के माइ अपन सुषमा जी बाड़ी’।
उल्लेखनीय है कि 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन 18..20 अगस्त तक मारिशस में किया गया ।
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