अमेरिका-चीन में व्यापार युद्घ शुरू
►दोनों देशों ने एक दूसरे पर लगाए 34 अरब डॉलर के शुल्क
►ट्रंप की 500 अरब डॉलर के सामान पर शुल्क लगाने की धमकी
►चीन ने अमेरिका के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में दर्ज कराया मामला
पेइचिंग/वॉशिंगटन, 06 जुलाई: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी शुक्रवार को चरम पर पहुंच गई। दोनों देशों ने जैसे को तैसा की रणनीति अपनाते हुए एक दूसरे पर 34 अरब डॉलर का आयात शुल्क थोप दिया। चीन ने इसका ठीकरा अमेरिका पर फोड़ते हुए कहा कि उसने इस व्यापक व्यापार युद्घ की शुरुआत की है। अमेरिकी शुल्कों के प्रभाव में आने से कुछ घंटे पहले राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने धमकी दी कि उनका देश चीन के 500 अरब डॉलर के सामान को निशाना बना सकता है। यह राशि पिछले साल चीन से किए गए आयात के लगभग बराबर है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिकी समयसीमा खत्म होने के तुरंत बाद एक बयान में कहा कि वह इसके खिलाफ कदम उठाने को मजबूर है। अमेरिका से आयात किए जाने वाली कारों, सोयाबीन और लॉबस्टर सहित अन्य सामान पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगेगा। चीन के सोयामील वायदा में शुक्रवार दोपहर को 2 फीसदी से अधिक की गिरावट आई लेकिन चीन के शुल्क लगाने को लेकर बाजार में जारी भ्रम के बीच बाद में इसने अपने नुकसान की अधिकांश भरपाई कर ली। बाद में चीन ने इस बात की पुष्टिï की कि उसने शुल्क लगा दिया है।
शांघाई च्याओथोंग यूनिवर्सिटी के अनताई कॉलेज ऑफ इकनॉमिक्स ऐंड मैनेजमेंट के प्रोफेसर चेन फीशियांग ने कहा, 'हम कह सकते हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार युद्घ की आधिकारिक शुरुआत हो चुकी है। अगर यह मामला 34 अरब डॉलर पर ही खत्म हो जाता है तो इसका दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर मामूली असर होगा लेकिन यह 500 अरब डॉलर पर पहुंचता है तो इसका दोनों देशों पर व्यापक असर होगा।' दोनों देशों के एक दूसरे पर आयात शुल्क लगाने से यह आशंका पैदा हो गई है कि अगर लड़ाई लंबी चली तो फिर इससे वैश्विक व्यापार, निवेश और वृद्घि को गहरा झटका लग सकता है। इससे अमेरिकी किसानों को भी नुकसान होगा। साथ ही चीन में खाद्य पदार्थों के दाम बढऩे की भी आशंका है।
चीन के प्रधानमंत्री ली कछï्यांग ने कहा कि व्यापार युद्घ कोई समाधान नहीं है। उन्होंने सोफिया में मध्य और पूर्वी यूरोप के 16 देशों के सम्मेलन से पूर्व बुल्गारिया के प्रधानमंत्री बोयको बोरिसोव के साथ संवाददाताओं से कहा कि चीन कभी व्यापार युद्घ शुरू नहीं करेगा लेकिन कोई भी पक्ष शुल्क बढ़ाता है तो फिर चीन अपने हितों की रक्षा के लिए इसका जबाव देगा। वॉशिंगटन और पइचिंग में सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार की समयसीमा खत्म होने से पहले दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बातचीत का कोई संकेत नहीं था। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने एक नोट में अनुमान जताया कि इन गर्मियों में व्यापार युद्घ में मामूली तेजी आएगी। अलबत्ता बैंक ने मंदी से प्रेरित व्यापार युद्घ के गहराने की संभावना से इनकार नहीं किया।
दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद के कारण हाल के दिनों में दुनियाभर में शेयर बाजार, मुद्रा बाजार और सोयाबीन तथा कोयले सहित जिंस बाजारों को हिलाकर रखा है। समयसीमा खत्म होने से पहले चीन के शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया और पिछले नुकसान की भरपाई कर ली। लेकिन डॉलर के मुकाबले युआन कमजोर बना रहा। एशिया के इक्विटी बाजार लडख़ड़ाए लेकिन बाद में उनमें सुधार आया। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक पंक्ति के बयान में कहा कि उसने अमेरिका के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में एक मामला दर्ज कराया है।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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