लहू बोलता भी है: आज़ाद ए हिन्द के मुस्लिम किरदार - मोहम्मद अब्दुल क़ादिर
आइये जानते हैं,
आज़ाद ए हिन्द के मुस्लिम किरदार - मोहम्मद अब्दुल क़ादिर जी को,
मोहम्मद अब्दुल क़ादिर:
अब्दुल कादिर की पैदाइश 25 मई सन् 1917 को केरल के त्रिवेंद्रम ज़िले के बक्कम गांव में हुई थी। इनके वालिद का नाम एम बावोकांज अब्दुल कादिर था, जो खुद ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मुल्क की आज़ादी की खातिर मलेशिया जाकर ग़दर पार्टी के लिए अपनी ख़िदमात देते थे।
मलेशिया में ग़दर पार्टी के बाबा हरि सिंह, बाबा उस्मान खान की हिदायत पर उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी मिलती, उसे वह बखूबी अंजाम देते। बाबा उस्मान खान पहली जंगे-अज़ीम के वक्त इण्डो-जर्मन कांस्प्रेसी में गिरफ्तार किये गये। उन पर अंग्रेज़ अफ़सरों ने असलहा स्मगल करके इण्डिया लाने का इल्ज़ाम लगाया।
मोहम्मद अब्दुल क़ादिर पर भी घर के माहौल का असर हुआ। आप भी जवानी के दिनों से ही ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ हर प्रोग्रामों में शामिल होने लगे। आप इण्डिया इण्डिपेंडेंस लीग के मेम्बर बने और बाबा उस्मान की लीडरशिप में साउथ एशियन कंट्रीज़ में इण्डिया इण्डिपेंडेंस लीग की ब्रांच खोलकर मुल्क के बाहर ब्रिटिश हुकूमत की मुख़ालिफ़त का काम करने लगे।
इस आंदोलन का मक़सद था ब्रिटिश आर्मी में जो इण्डियन या ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ मुल्कों के सैनिक थे, उन्हें समझाकर इण्डियन नेशनल आर्मी के लिए तैयार करना और उन्हें ट्रेनिंग देकर ब्रिटिश हुकूमत के खि़लाफ़ खुफिया कामों में लगाना।
अब्दुल क़ादिर उन खुफ़िया टीमों को थाईलैण्ड के रास्ते हिन्दुस्तान लाकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ अहम जानकारी जुटाने के काम पर मुस्तैद करके वापस चले जाते थे। तीसरी बार पांच मेंबरों के साथ समुद्र के रास्ते से हिन्दुस्तान आते वक़्त मोहम्मद अब्दुल क़ादिर और उनकी टीम को अंग्रेज़ अफ़सरों ने गिरफ़्तार कर लिया। गिरफ़्तारी के बाद मोहम्मद अब्दुल क़ादिर और उनकी टीम को मद्रास की सेन्ट्रल जेल में ले जाया गया; साथ ही, जेल में इन मुजाहेदीन को खूब टार्चर किया गया। बहुत तकलीफ़देह सज़ाएं दीं जाने लगीं।
ब्रिटिश अफसरों ने इन लोगों से आंदोलन की खुफ़िया जानकारी मालूम करने की हर मुमकिन कोशिशें कीं लेकिन नाक़ाबिले बर्दाश्त सज़ा के बाद भी इन मुजाहेदीन से कोई जानकारी हासिल करने में वे कामयाब नहीं हो पाये।
सज़ा के बाद जब भी इन लोगों से कुछ पूछा जाता, अब्दुल क़ादिर और उनके साथी ज़ोर-ज़ोर से सुभाषचन्द्र बोस ज़िन्दाबाद, हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद ब्रिटिश हुकूमत मुर्दाबाद के नारे लगाने लगते थे। इससे चिढ़कर अंग्रेज़ सेना उनकी बेतहाशा पिटाई शुरू कर देती थी।
आखिर में 10 सितम्बर 1943 को जेल में ही मोहम्मद अब्दुल क़ादिर को शहादत हासिल हुई।
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