जो मिलता रहा बहाने से, अब आता नहीं बुलाने से
- कवि व पूर्व विधायक विकल साकेती की पुण्य स्मृति में रात भर बहती रही काव्य की मंदाकिनी
- पत्रकार अश्विनी मिश्रा व घनश्याम भारतीय सहित दर्जनभर लोग सम्मानित
अंबेडकरनगर: देश के बिगड़ते जा रहे सियासी माहौल में मानवता के साथ हो रहे खिलवाड़ और मानवीय आदर्शों की लुटती गरिमा के विरुद्ध राष्ट्रीय एकता व साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के उद्देश्य से नगर के बीएन इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित कवि सम्मेलन व मुशायरे में एकता व भाईचारगी के तराने गूंजते रहे। प्रख्यात कवि व पूर्व विधायक विकल साकेती की पुण्य स्मृति में बद्रीनारायण शुक्ल व प्रतिमा तिवारी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जहां विकल दद्दा को काव्यात्मक श्रद्धांजलि दी गयी वहीं हास्य व्यंग्य के तीर के साथ इश्क व मुहब्बत के पागलपन के चर्चे भी छाए रहे। कवियों और शायरों ने जहां बेटा बेटी में फर्क न करने की सीख दी वहीं प्राकृतिक सौंदर्य का बखान करते हुए राष्ट्र प्रेम की अलख जगाई। मंच से कवियों शायरो व अतिथियों सहित ब्यूरो चीफ अश्विनी मिश्र तथा प्रेसक्लब के उपाध्यक्ष घनश्याम भारतीय को प्रतीक चिन्ह व पुस्तक भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत विकल साकेती व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के बाद जालौन से आयी कवयित्री नीलम कश्यप की वाणी वन्दना से हुई।जिसकी अध्यक्षता वयोवृद्ध कवि रविन्द्र शर्मा और संचालन अशोक टाटम्बरी ने किया।जिसमें नीलम कश्यप के काव्य पाठ ने सबको अपना दीवाना बना लिया। जो मिलता रहा बहाने से अब आता नहीं बुलाने से गीत के माध्यम से जहां वाहवाही लूटी वही मोरी ननदी नदी में नहाय लहरिया बलि बलि जाय जैसी बुन्देली गीत से लोगो के दिलो पर अमिट छाप छोड़ गई। उनकी इन पंक्तियों पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही-
तुम्हारी भावनाओं को न समझें तो कहां जाएं,
तुम ही तुम नजर आओ कहीं भी चले जाएं।
हमी से प्यार करते हो हमें मालूम है लेकिन,
सभी की अंगुलियां उठे बताओ हम कहां जाएं।
अयोध्या से आई डॉ कात्यायनी उपाध्याय ने अपने काव्य पाठ का जादू बिखेरते हुए लोगों के दिलो को झकझोर दिया। उनकी यह पंक्ति काफी सराही गई-
तेरे सुर में सजूं रागिनी की तरह,
काया कंचन खिले कामिनी की तरह।
ऐ प्रिये जो तुम्हारा इशारा मिले,
मैं बिखर जाऊंगी चांदनी की तरह।।
इसी क्रम में आजमगढ़ से आए मशहूर शायर मयकश आजमी ने बेटियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी शिक्षा और सुरक्षा पर जोर दिया। उनकी ये पंक्तियां अत्यंत सराहनीय रही-
सबके घरों की होती है श्रृंगार बेटियां,
रोशन हमेशा करती हैं घर बार बेटियां।
ससुराल में दुख लाख वो सहती हैं खुशी से,
मां-बाप से करती नहीं इजहार बेटियां।।
लखनऊ से आई युवा कवियत्री व्याख्या मिश्रा ने कई चक्र काव्य पाठ करते हुए समा बांधे रखा। उनकी ये पंक्तियां युवा दिलों के तार को हिला गई-
किसी से प्यार न करती तो और क्या करती,
मैं जा निसार नहीं करती तो और क्या करती।
यह उसका वादा था आएगा लौट के एक दिन,
मैं इंतजार न करती तो और क्या करती।।
लखनऊ से आए डॉ शैलेंद्र मासूम ने प्रेम, प्रकृति व राष्ट्र से संबंधित काव्य पाठ कर लोगों के दिलों को जीत लिया। उन्होंने कहा -
जब मिलन का सही सिलसिला ही नहीं,
तो बिछड़ने का कोई गिला ही नहीं ।
रात दिन बेईमानी हिलाती रही ,
इनकी नियत का पर्वत हिला ही नहीं।।
मंच संचालक अशोक टाटंबरी को जब काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया गया तो उन्होंने विभिन्न पहलुओं पर नजर रखते हुए लोगों को ठहाके लगाने पर विवश कर दिया। बसंत के चित्रण के साथ सियासी बेईमानी का भी खूब खाका खींचा। मुराही न चली और समझो बसंत है नामक कविता का विधिवत काव्य पाठ करते हुए उन्होंने कहा-
जिधर देखता हूं उधर गम ही गम है,
मेरी जिंदगी उनकी जुल्फों का खम है।
अमीरों की रोटी तो सिकती रहेगी,
गरीबों की आहों का तावा गरम है।।
अंत में अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि रविंद्र शर्मा ने रामायण के उत्तरकांड से प्रेरित हो लिखी अपनी पुस्तक से काव्य पाठ कर कवि सम्मेलन को धार्मिक दिशा दी। इस मौके पर मंचासीन कवियों शायरों कवयित्रियों सहित भाजपा नेता अवधेश द्विवेदी, अधिवक्ता इंद्रमणि शुक्ला, लोकतंत्र सेनानी मारकंडेय वर्मा, योगेंद्र नाथ त्रिपाठी, बी एन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य विपिन कुमार सिंह, शिसानी जाफरगंज के प्रधानाचार्य गुरु चरण प्रजापति, रामचंद्र चौबे, डॉ रमाकांत मिश्र के अलावा ब्यूरो चीफ अश्विनी मिश्रा और प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष घनश्याम भारतीय को प्रतीक चिन्ह और विकल साकेती की पुस्तक मेरी कल्पना से पहले भेंट कर सम्मानित किया गया।
(साभार- प्रियंका)
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