बुलंदशहर नरसंहार: HC ने तीनों आरोपियों की फांसी के सजा को रखा बरकरार
बता दें कि बुलंदशहर के नरोरा थाना क्षेत्र के पिलखना गांव में 23 जनवरी 2014 की रात साढ़े आठ बजे एक ही परिवार के दो नाबालिग सहित 6 लोगों की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई थी.
इलाहबाद, 08 जून: बुलंदशहर में हुए बहुचर्चित सामूहिक हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए तीन हत्यारोपियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने तीन आरोपियों के खिलाफ हत्या के अपराध को रेयर ऑफ रेयरेस्ट मानते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. जबकि हाईकोर्ट ने एक महिला हत्यारोपी नाजरा को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का आदेश दिया है. नाजरा छह बच्चों की मां है और उसके खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से कोई साक्ष्य न होने और उसके पास से हत्या में प्रयुक्त किसी भी हथियार की बरामदगी न होने के आधार पर कोर्ट ने बरी करने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि जिला सत्र न्यायाधीश ने चारों हत्यारोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. बता दें कि बुलंदशहर के नरोरा थाना क्षेत्र के पिलखना गांव में 23 जनवरी 2014 की रात साढ़े आठ बजे एक ही परिवार के दो नाबालिग सहित 6 लोगों की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई थी. सम्पत्ति और व्यावसायिक विवाद के चलते सामूहिक हत्याकांड की वारदात को अंजाम दिया गया था. मौसम खान 85 वर्ष, इनकी पत्नी असगरी 80 वर्ष, इनके पुत्र और पुत्रवधू शौकीन खान 55 वर्ष, शन्नो 30 वर्ष और इनके दो बच्चों समद 8 साल और मुस्कान 15 साल की चाकू से साजिशन निर्मम हत्या कर दी गई थी.
मामले में पहले तीन आरोपियों मोईन, जैकब और साजिद को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जबकि बाद में नाजरा की भी पुलिस ने गिरफ्तारी की थी. तीनों आरोपियों से हत्या में प्रयुक्त हथियार बरामद हुए थे. जबकि नाजरा के मौके पर होने के सबूत नहीं मिले थे. इसीलिए कोर्ट ने नाजरा को संदेह का लाभ देते हुए रिहाई का आदेश दिया है. सामूहिक हत्याकांड के सभी आरोपी जेल में बंद हैं.
(साभार- न्यूज़- 18)
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