धर्म कभी भारत की पहचान नहीं बन सकता, नफरत से देश को सिर्फ नुकसान- प्रणब मुखर्जी
हाइलाइट्स
- प्रणब मुखर्जी ने कहा, कौटिल्य का श्लोक-
प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानन् च हिते हितम्.
नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानन् तु प्रियं हितम् .. संक्षेप में हमें बताता है कि लोगों की खुशी में राजा की खुशी है, उनके कल्याण उनके कल्याण हैं. राज्य लोगों के लिए है.
- प्रणव मुखर्जी ने कहा, मैं अपने विचारों को साझा करना चाहता हूं जो मैंने पिछले 50 वर्षों में महसूस किया है.
- जैसा कि गांधी जी ने समझाया कि भारतीय राष्ट्रवाद अनन्य नहीं था और न ही आक्रामक और न ही विनाशकारी था : नागपुर में डॉ प्रणब मुखर्जी
- पंडित नेहरू ने 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' पुस्तक में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया,
-प्रणब मुखर्जी ने कहा, भारत एक धर्म, एक भाषा का देश नहीं है.
- प्रणब मुखर्जी ने कहा, भारत की आत्मा सहिष्णुता में बसती है.
- प्रणब मुखर्जी ने कहा, कई राजवंशों, शक्तिशाली साम्राज्यों ने उत्तरी और दक्षिणी भागों में भारत पर शासन किया.
- प्रणब मुखर्जी ने कहा, अगर हम भेदभाव और नफरत करेंगे तो हमारी पहचान को खतरा. सहिष्णुता हमारी ताकत है.
- प्रणब मुखर्जी ने कहा, भारत वसुधैव कुटुंबकम का देश हैं.
- प्रणब मुखर्जी ने कहा, भारत में राष्ट्रवाद की परिभाषा यूरोप से अलग है.
- प्रणब मुखर्जी ने कहा, भारत एक स्वतंत्र समाज है.
- प्रणब मुखर्जी ने कहा, मैं राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलने आया हूं.
नागपुर, 07 जून: पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रणब मुखर्जी ने नागपुर के रेशमीबाग स्थित आरएसएस मुख्यालय में संघ के तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण लेने वाले काडर को संबोधित किया. ‘‘राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम’’ के बारे में आरएसएस मुख्यालय में अपने विचार साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारत की आत्मा ‘‘बहुलतावाद एवं सहिष्णुता’’ में बसती है. मुखर्जी ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं. हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं. उन्होंने प्राचीन भारत से लेकर देश के स्वतंत्रता आंदोलत तक के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तथा ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:..’ जैसे विचारों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद में विभिन्न विचारों का सम्मिलन हुआ है. उन्होंने कहा कि घृणा और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीयता कमजोर होती है.
वहीं, पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर हुए विवाद के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह ‘‘ निरर्थक ’’ बहस है और उनके संगठन के लिए कोई भी बाहरी नहीं है. मुखर्जी के भाषण के मद्देनजर भागवत ने कहा कि कार्यक्रम के बाद मुखर्जी वही बने रहेंगे जो वह हैं और संघ भी वही बना रहेगा जो वह है. भागवत ने कहा कि उनका संगठन पूरे समाज को एकजुट करना चाहता है और उसके लिए कोई भी बाहरी नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों के पास अलग-अलग विचार हो सकते हैं लेकिन वे सभी भारत माता के बच्चे हैं.
इसके पहले बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता को संघ को लेकर नसीहत दी थी. शर्मिष्ठा ने कहा कि संघ वाले प्रणब मुखर्जी का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं. अपने पिता को आगाह करते हुए शर्मिष्ठा ने कहा- "भाषण भुला दिए जाएंगे, लेकिन तस्वीरें हमेशा याद रहेंगी."
(साभार- न्यूज़- 18)
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