हृदय नारायण और मेरा याराना शब्दों की पट्टीदारी है
जन्मदिन 18 मई पर अक्षरों का गुलदस्ता ___ [राम प्रकाश वरमा]
लखनऊ, 19 मई: प्रियंका न्यूज़ के संस्थापक संपादक श्री राम परकाश वरमा ने अपने मित्र को भेजे जन्मदिन 18 मई पर "अक्षरों का गुलदस्ता" उन्ही के शब्दों में प्रस्तुत है__
जन्मदिन 18 मई पर अक्षरों का गुलदस्ता
अक्षरों के नातेदार हृदय नारायण राजनीति के मोहल्ले में सच्चे-सुच्चे नेता माने जाते हैं और उनकी सियासत का पहला कदम भी निहायत दबे-कुचले और दलितों के गंदले इलाके में पड़ा था | इन बीपीएल नामधारियों के लिए लड़ने-मरने को आमादा हृदय नारायण के सैकड़ों किस्से मौरावां,पुरवा से लेकर विधानसभा के भीतर और ‘प्रियंका’ के पन्नों पर इतिहासकी सनद के तौर पर दर्ज हैं | एक छोटा सा किस्सा मौरावां बाजार का मुलाहिजा हो |
मौरावां में साप्ताहिक बाजार लगा था, आम दिनों की तरह हृदय नारायण अपनी मित्र मंडली के साथ अपनी पसंदीदा चाय की दुकान पर गप्प लड़ा रहे थे, इसी बीच एक साधारण से ग्रामीण ने आकर हाथ जोडकर लगभग याचना करते हुए कहा , विधायकजी पुलिस के सिपाही ने मेरी मां को पीटकर मेरी पटरी पर लगी दुकान हटा दी और रूपये भी चीन ले गये | उसकी बात सुनकर हृदय नारायण ने अपने एक सहयोगी से कहा बाजार में जितने भी खड़खड़े (घोड़ा गाड़ी) हैं उन्हें इकट्ठा करो और खुद उस ग्रामीण के साथ उसकी मां के पास चल दिए | बूढ़ी महिला के माथे से खून बह रहा था , वह खून हृदय नारायण को धधकाने के लिए काफी था | उन्होंने इकट्ठा हुए खड़खड़े में सबसे आगे वाले पर सवार होकर खुद उसकी लगाम थामी और मौरांवा थाने की ओर कूच कर दिया | उनके पीछे दसियों घोड़ा गाड़ियां भी चल दीं | जब तक हृदय नारायण थाने पहुँचते उनके थाने की ओर आने की सूचना पाकर पूरा थाना आनन-फानन में भाग निकला | एक सिपाही जो उन्हें जानता था मिला , उससे उन्होंने उस सिपाही को तलाश कर लाने को कहा , बमुश्किल वह सामने आया | उस सिपाही से बूढ़ी मां के पूरे पैसे वापस दिलाये और माफी मंगवाई | ऐसे सैकड़ों किस्से उनकी राजनीति के डगर के हैं |
हृदय नारायण और मेरा याराना शब्दों की पट्टीदारी है, वे ‘फुर्सत में’ लिखते-लिखते मंत्री हो गये और भाजपा से दीक्षित भी, सो हृदय नारायण दीक्षित से मेरा कोई ख़ास परिचय नहीं है लेकिन हृदय नारायण तो कथाकार प्रेमचंद के हकीकी किरदार गोबर के सरपरस्त हैं और गोबर मेरी मां कलम का नातेदार | ऐसी प्रगाढ़ता में जन्मदिन भले न मनाया जाए मगर अक्षरों के नातेदार,शब्दों के पट्टीदार और मित्र हृदय नारायण को जन्मदिन पर शतायु होने की कामना के साथ प्रणाम |
[राम प्रकाश वरमा]
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