भारत के ‘असहयोगी’, ‘हठी’ रवैये के कारण मुंबई हमले की सुनवाई में हो रही देरी : निसार
इस्लामाबाद , 13 मई: (भाषा) पाकिस्तान के पूर्व गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान ने आज कहा कि भारत सरकार का ‘ असहयोगी रवैया ’ एवं ‘ हठ ’ मुंबई आतंकी हमले की सुनवाई के पूरा होने में सबसे बड़ी बाधा है।
निसार का यह बयान ऐसे समय आया है जब अपदस्थ पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ‘ गैर - सरकारी तत्वों ’ को सीमा पार मुंबई में आतंकी हमला करने की इजाजत देने की पाकिस्तान की नीति पर सवाल उठाया है।
पनामा पेपर मामले में पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय द्वारा सार्वजनिक पद के लिए आजीवन अयोग्य घोषित किए गए शरीफ ने समाचार पत्र ‘ डॉन ’ के साथ साक्षात्कार में मुंबई हमले की सुनवाई पूरी होने में हो रही देरी की निंदा की थी।
मुंबई हमलों के सरगना हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर के आतंकी संगठनों जमात - उद - दावा और जैश - ए - मोहम्मद का नाम लिए बिना शरीफ ने कहा था , ‘‘ पाकिस्तान में आतंकी संगठन सक्रिय हैं। ’’
शरीफ ने कहा , ‘‘ उन्हें सरकार से इतर तत्व कहिए , क्या हमें उन्हें सीमा पार करने और मुंबई में 150 से अधिक लोगों की हत्या करने की अनुमति देनी चाहिए ? हम मुकदमा पूरा क्यों नहीं कर सकते ?’’
‘ डॉन ’ की खबर के मुताबिक शरीफ की इस टिप्पणी पर निसार ने मुंबई हमलों की सुनवाई में विलंब के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया।
निसार की निगरानी में फेडरल इंवेस्टीगेशन एजेंसी ( एफआईए ) ने मुंबई हमले की जांच की थी।
पीएमएल - एन से नाराज चल रहे निसार ने कहा , ‘‘ मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि मुंबई हमलों से जुड़े मामले की जांच में देरी या उसकी धीमी प्रगति पाकिस्तान के कारण नहीं बल्कि यह भारत के असहयोग और हठ का नतीजा है। ’’
उन्होंने कहा कि यह हमला मुंबई में हुआ था इसलिए घटना से जुड़े ‘90 प्रतिशत साक्ष्य और तथ्य ’ भारत सरकार के पास थे।
निसार ने दावा किया , ‘‘ लगातार प्रयासों के बावजूद भारत ने एफआईए और पाकिस्तानी अदालतों द्वारा गठित जांच समितियों के साथ उन तथ्यों और साक्ष्यों को साझा नहीं किया। ’’
उन्होंने कहा कि एफआईए को अजमल कसाब से पूछताछ करने की इजाजत नहीं देना इस मामले में भारत सरकार की रुचि के अभाव को दिखाता है।
निसार ने आरोप लगाया , ‘‘ कसाब को इतनी जल्दबाजी में फांसी दी गयी ताकि मुंबई हमले को विश्व में पाकिस्तान को राजनीतिक आधार पर बदनाम करने का जरिया बनाया जा सके। ’’
उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की सरकार हर आतंकी घटना के संबंध में जानकारी साझा करने के लिए भारत सरकार से सहयोग कर रही है लेकिन भारत यहां होने वाली घटनाओं के संदर्भ में ऐसा नहीं कर रहा है।
मुंबई हमले को नौ साल से अधिक समय हो चुका है, लेकिन पाकिस्तान में अब तक किसी भी संदिग्ध को दंडित नहीं किया गया है जिससे पता चलता है कि यह मामला देश के लिए कभी प्राथमिकता वाला नहीं रहा।
इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे। लश्कर-ए-तैयबा के 10 हमलावर आतंकियों में से नौ को भारतीय सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था तथा अजमल कसाब को जीवित पकड़ लिया था। बाद में कसाब को फांसी दे दी गई थी।
(साभार- भाषा)
सम्पादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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