भारती इन्फ्राटेल-इंडस का विलय
नयी दिल्ली, 26 अप्रैल: भारती इन्फ्राटेल और इंडस टावर्स के विलय से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार टावर कंपनी बनेगी जिसकी कीमत 965 अरब रुपये होगी। नई कंपनी की देश के 22 सर्किलों में मौजूदगी होगी और उसके पास 163,000 टावर होंगे। सौदे में इंडस टावर्स की कीमत 715 अरब रुपये लगाई गई है। कंपनी में एयरटेल और वोडाफोन की 42-42 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा आइडिया सेल्यूलर की 11.15 फीसदी और प्रोविडेंस की 4.85 फीसदी हिस्सेदारी है।
इंडस टावर के हरेक शेयर के लिए भारती इन्फ्राटेल 1,565 शेयरों का भुगतान करेगी। आइडिया अपनी पूरी हिस्सेदारी 65 अरब रुपये में बेच सकती है या फिर विलय के बाद बनने वाली कंपनी में नए शेयर ले सकती है। वोडाफोन इंडस टावर्स में अपनी हिस्सेदारी के बदले में 78.31 करोड़ नए शेयर जारी कर सकती है। प्रोविडेंस के पास अपनी 3.35 फीसदी हिस्सेदारी के लिए नकद या फिर शेयर प्राप्त करने और बाकी हिस्सेदारी नई कंपनी के शेयरों के साथ बदलने का विकल्प होगा। विलय प्रक्रिया के वित्त वर्ष 2018-19 के अंत में पूरी होने की संभावना है।
अगर आइडिया और प्रोविडेंस दोनों अपनी हिस्सेदारी बेेचती हैं तो नई कंपनी में एयरटेल सबसे बड़ी हिस्सेदार होगी। कंपनी में उसकी 37.2 फीसदी हिस्सेदारी होगी जबकि वोडफोन की 29.4 फीसदी और प्रोविडेंस की 1.1 फीसदी हिस्सेदारी होगी। बाकी सार्वजनिक हिस्सेदारी होगी।
अगर आइडिया और प्रोविडेंस नए शेयर हासिल करने का विकल्प लेती हैं तो एयरटेल की 33.8 फीसदी, वोडाफोन की 26.7 फीसदी, आइडिया की 7.1 फीसदी और प्रोविडेंस की 3.1 फीसदी हिस्सेदारी होगी। बाकी सार्वजनिक हिस्सेदारी होगी। क्रेडिट सुइस के मुताबिक इस सौदे का तत्काल फायदा यह होगा कि कंपनी को कर की बचत होगी। अभी इंडस टावर्स को सालाना 5 अरब रुपये कर देना पड़ रहा है। हाल के दिनों में दूरसंचार क्षेत्र में एकीकरण की प्रक्रिया तेज हुई है।
कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह रिलायंस जियो के आने के बाद कीमतों को लेकर छिड़ी जंग का नतीजा है। कम से कम 5 कंपनियों ने अपना कामकाज बंद कर दिया है या फिर विलय का रास्ता अपनाया है। इनमें सबसे बड़ा विलय वोडाफोन और आइडिया के बीच प्रस्तावित है। भारती इन्फ्राटेल और इंडस टावर्स के विलय के बाद टेलीकॉम टावर के क्षेत्र में केवल 3 बड़ी कंपनियां और एक छोटी कंपनी बीएसएनएल ही रह जाएगी। पहले इस क्षेत्र में 9 कंपनियां थीं।
हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि अगले एक साल में वोडाफोन-आइडिया के विलय और दूसरी कंपनियों के बंद होने के कारण टावर किरायेदारों की संख्या में करीब 20 फीसदी की गिरावट आएगी। इससे कंपनियों के राजस्व पर दबाव आएगा जो दो साल तक रह सकता है। एक जानकार ने कहा कि किरायेदार अनुपात अभी 1.5 से 1.7 है जो आगे घट जाएगा। लेकिन डेटा क्रांति के कारण दीर्घावधि में ज्यादा टावरों की जरूरत होगी।
भारती इन्फ्राटेल और इंडस टावर्स के विलय के बाद बनने वाली नई कंपनी रिलायंस जियो के साथ होड़ करेगी। रिलायंस कम्युनिकेशंस के टावरों को खरीदने के बाद जियो के पास 162,000 टावर होंगे। इसके बाद इस क्षेत्र में केवल अमेरिकन टावर कॉरपोरेशन (एटीसी) की विशुद्घ रूप से टावर कंपनी रह जाएगी। व्योम नेटवर्क में बहुलांश हिस्सेदारी और हाल में वोडाफोन तथा आइडिया के टावरों को खरीदने के बाद एटीसी के पास 78,000 टावर होंगे।
इस समय देश में कुल 5 लाख टेलीकॉम टावर हैं। सरकारी कंपनी बीएसएनएल के पास 65,000 टावर हैं जबकि जीटीएल और टावर विजन के पास 32,000 टावर हैं। विश्लेषकों का कहना है कि ये दो कंपनियों देर सबेर अपने टावर बेच सकती हैं। डेटा कारोबार में तेजी से 2021 तक टावरों के किराया मांग में तेजी आने की उम्मीद है। जियो के दूरसंचार क्षेत्र में आने से मौजूदा ऑपरेटरों को 4जी कवरेज बढ़ाने तथा देश भर में वोल्टी सक्षम बनाने के लिए ज्यादा काम करना पड़ रहा है।
साथ ही 5जी के लॉन्च होने पर केवल उच्च बैंड के स्पेक्ट्रम पर ही पर्याप्त बैंडविद्थ उपलब्ध होंगे। इसके लिए काफी संख्या में टॉवर इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी। बीएनपी पारिबा ने कहा कि इस विलय से सभी कंपनियों को फायदा होगा। उन्होंने कहा, 'आइडिया को इसका ज्यादा फायदा होगा और वह नकद विकल्प को अपना सकती है। वोडाफोन इंडिया का भी अब इंडस की जगह एक सूचीबद्घ कंपनी में हिस्सेदारी होगी।'
दूरसंचार कंपनियों का दावा है कि मुद्रीकरण से मौजूदा ऑपरेटरों को शुल्क को लेकर छिड़ी जंग में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी, वहीं अगले दो साल में शुरू होने वाले 5जी के लिए स्पेक्ट्रम खरीदने में भी सहूलियत होगी।
भारती एयरटेल इस साल 4जी और वोल्टी सेवाओं को देश भर में लागू करने के लिए 240 अरब रुपये निवेश करने की योजना बना रही है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि रिलायंस जियो जो अभी केवल अपने नेटवर्क के लिए टॉवरों का इस्तेमाल कर रही है वह भी इसके मुद्रीकरण की संभावना तलाश सकती है और उसमें हिस्सा बेचकर या किराये पर देकर दूसरे ऑपरेटर को शामिल कर सकती है। नए इंडस टावर्स के बोर्ड में 11 सदस्य होंगे, जिनमें से भारतीय एयरटेल और वोडाफोन के तीन-तीन तथा केकेआर या कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड के एक सदस्य होंगे।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
swatantrabharatnews.com