अर्थहीन है प्रकृति विमुख शिक्षा: जितेन्द्र शुक्ला
वर्ल्ड अर्थ डे पर संजय गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्यशाला का आयोजन
लखनऊ, 22 अप्रैल: विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर संजय गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान में ए.जे.एस. क्लासेज के तत्त्वावधान में 'प्रकृति और शिक्षा का सामंजस्य' विषय आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में प्रकृति के साहचर्य में व्यक्तित्त्व व भविष्य निर्माण की वैज्ञानिक अवधारणा पर विशद् चर्चा हुई।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में पर्यावरण विशेषज्ञ एवं एजुकेशनल मोटीवेटर जितेंद्र शुक्ला ने सारगर्भित आख्यान प्रस्तुत किया।
संजय गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान के हॉबी सेंटर सभागार में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता विषय-विशेषज्ञ श्री शुक्ला ने कहा क़ि प्रकृति और शिक्षा का तादात्म्य अत्यावश्यक है।
प्रकृति के विपरीत शिक्षा का कोई अर्थ या मूल्य नही है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपने तन और मन की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए ही अपनी पढाई की दिनचर्या सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा क़ि आज प्रतियोगिता के समय में विद्यार्थियों को लक्ष्य केंद्रित होकर अध्ययन करना चाहिए।
प्रकृति के नियमों की अवहेलना कर विद्यार्थी अपने दिशा-लक्ष्य से विमुख हो सकते हैं।
अभिभावकों के दायित्त्व पर चर्चा करते हुए श्री शुक्ला ने कहा कि प्रकृति, शिक्षा और शिक्षार्थी के मध्य संतुलन बनाये रखने में अभिभावकों की भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है। अभिभावको को चाहिए क़ि वे अपनी संतानों को प्रकृति के अनुरूप ढाल कर उनके बेहतर भविष्य निर्माण में सहायक होना चाहिए।
कार्यशाला में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित लेखक यदुनाथ सिंह मुरारी ने भी अपने विचार प्रकट किए। सञ्चालन सत्येंद्र त्रिवेदी ने किया। इस अवसर पर समाजसेवी राकेश शुक्ला, मृत्युंजय तिवारी, अमित सर, ए.जे.एस. क्लासेज़ परिवार के अलावा बड़ी संख्या में विद्यार्थी और अभिभावक उपस्थित थे।
-अमित शुक्ल, संयोजक कार्यशाला
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