यही वह शहर जो अब मेरी जुबान देखता है
रेल मंत्री पीयूष गोयल लखनऊ में थे। कहते हैं- यूपी के विकास के लिए उन्होंने धन का पिटारा खोल दिया !!! शुक्रिया। उनका भी शुक्रिया जिन्होंने पिटारा खुलता महसूस कराया। कहना यह है कि ' पिटारा' खोले बिना UP में विकास की रेल सरपट दौड़ सकती है। भगवान श्रीराम के प्रति आस्था और परवान चढ़ सकती है। महर्षि बाल्मीकि का दर्शन मानने वाले भी भाजपा सरकार के मुरीद हो सकते हैं।
पूछिए कौन सी छड़ी है?? जवाब- "मानिकपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन।" है। इस स्टेशन परिसर में 5 हजार कर्मचारियों के आवास खाली हैं। डीजल लोको शेड का शानदार स्ट्रैक्चर वीरान है। शंटिंग का सिस्टम है। आइआरएस (इंडियन रेलवे सर्विस) अधिकारियों के भव्य बंगले खाली हैं। रेलवे अस्पताल भी है। रेल मंत्री का शैलून यार्ड भी है। रेलवे के पार्क हैं। सैकड़ों एकड़ जमीन है। यहां से इलाहाबाद की दूरी सिर्फ 80 किमी है। सतना 65 किमी। हर 20 मिनट पर इस स्टेशन से एक ट्रेन गुजरती है, जो दोनों शहरों को जोड़ती है। कर्वी (जिला मुख्यालय) 20 किमी है। श्रीराम ने जिन स्थलों पर 14 साल तपस्या, संघर्ष में गुजारे वह पूरा क्षेत्र यहां से 15 से 25 किमी में सिमट जाता है। महान तुलसीदास ने जिस स्थान पर रामायण लिखी, वह 38 किमी है। महर्षि बाल्मीकि आश्रम 28 किमी पर है। सड़कें हैं।....बस खाली स्ट्रक्चरों को आबाद कराना था। आस्था-विकास की रेल सरपट दौड़ने लगेगी। बीमारू बुंदेलखंड का ठोस इलाज शुरू हो जाएगा।
भाजपा का राजनैतिक एजेंडा भी उड़ान भरने लगेगा। हां, पिटारा खोलने की जरूरत नहीं।...भगवान श्रीराम के भक्तों (आशय प्रभु के विचारों के प्रति आस्था रखने वालों से है।) से अाग्रह है- राम राज्य का ख्वाब दिखाने वाली भाजपा सरकार का इस ओर ध्यान खींचिए प्लीज !!!!!! सियासी मुश्किल भी नहीं है, बुंदलेखंड की 19 में से 19 विधानसभा सीटों से भाजपा के विधायक हैं। झांसी-ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, सतना, रीवां, इलाहाबाद, फतेहपुर संसदीय सीट पर भाजपा के सांसद हैं। आखिर में थोड़ा तल्ख शब्द-फतेहपुर को छोड़ दें तो इन सभी सीटों पर अल्पसंख्यकों की आबादी भी दाल में नमक जैसी है। अब विकास नहीं तो फिर कब ???
और यह सब इसलिए कि...............
"यही वह शहर जो मेरे लबों से बोलता था.
यही वह शहर जो अब मेरी जुबान देखता है।" ( प्रियंका और अखबारी कचरा ब्लॉग से साभार )
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