पानी का संकट: गुजरात ने मप्र से मांगा नर्मदा का दोगुना पानी
1,500 क्यूसेक पानी की मांग
अहमदाबाद: पानी को लेकर जारी संकट के बीच गुजरात ने मध्य प्रदेश से नर्मदा का दोगुने से भी अधिक पानी मांगा है। पानी की कमी के कारण मध्य प्रदेश रोजाना 600 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है लेकिन गुजरात ने इसे बढ़ाकर 1500 क्यूसेक करने की मांग की है। कृषि और घरेलू मोर्चों पर संकट का सामना कर रही गुजरात सरकार ने इस मांग के पीछे यह तर्क दिया है कि उसने तटीय और समुद्री वातावरण प्रभाव के मद्देनजर ज्यादा पानी की मांग की है। राज्य सरकार ने नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) से यह मांग की है जो इस नदी के पानी के आवंटन के लिए नोडल एजेंसी है।
अलबत्ता गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि राज्य सरकार ने स्थायी आधार पर नर्मदा का ज्यादा पानी देने की मांग की है न कि पानी के मौजूदा संकट के मद्देनजर। उन्होंने कहा, 'हमने तटीय और समुद्री जैव विविधता पर इसके प्रभाव को देखते हुए यह मांग की है। इसके लिए जरूरी है कि ज्यादा पानी छोड़ा जाए।' उन्होंने कहा कि भरुच के करीब तटीय इलाकों को लवणता से रोकने और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए नर्मदा से ज्यादा पानी छोडऩे की मांग की गई है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले राज्य सरकार ने पानी के संकट को देखते हुए किसानों को सिंचाई के लिए सरदार सरोवर बांध से पानी की आपूर्ति बंद कर दी थी। इस तरह सरकार ने पानी के शेष भंडार को औद्योगिक और घरेलू इस्तेमाल के लिए रिजर्व रखा है। सरदार सरोवर बांध में पानी का स्तर करीब 105 मीटर है जो सामान्य से 50 फीसदी से भी कम है। मॉनसून के दौरान इसमें 214 किमी के दायरे में पानी भरा हुआ था जो घटकर 90 किमी से भी कम रह गया है। सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति रोके जाने से जल निकासी 9000 क्यूसेक से घटकर अब करीब 4900 क्यूसेक रह गई है। इसमें से 4300 क्यूसेक का इस्तेमाल पीने के लिए हो रहा है जबकि बाकी नदी में छोड़ा जा रहा है।
(साभार: बिजनेस स्टैण्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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