बिजली बिभाग को बचा लिया कर्मचारियों और अभियंताओं ने - लो. स. पा और आर. एस. एस. ने दी बधाई.
- लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तथा रेल सेवक संघ के महामंत्री - सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव ने बिजली के निजीकरण के बिरुद्ध आंदोलन की इस ऐतिहासिक जीत पर बिजली विभाग के सभी कर्मचारियों और अभियंताओं को दी बधाई.
- योगी और मोदी सरकार केवल उद्द्योगपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए कर रही है निजीकरण और श्रम कानूनों में बदलाव.
- 16 मार्च 2018 को संसद द्वारा "औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 में बदलाव कर सभी उद्योगों में ‘निश्चित अवधि के रोजगार’ की व्यवस्था लागू करने के विरुद्ध देश के सभी मजदूरों/ कर्मचारियों से एकजुट होकर संघर्ष का किया आह्वाहन.
लखनऊ 06 अप्रैल, 2018: लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष तथा रेल सेवक संघ के महामंत्री - सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारी और अभियंताओं की एकजुटता और अखण्डता की प्रशंसा करते हुये कहा कि, "संगठन और एकजुटाता में ही शक्ति होती है और इसे उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों और अभियंताओं ने साबित कर दिया है. इसी का परिणाम है कि,,योगी सरकार को बिजली के अनावश्यक निजीकरण का फैसला वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा"।
श्रीवास्तव ने देश के सभी कामगारों का आह्वाहन करते हुए कहा कि, प्रदेश की योगी और केंद्र की मोदी सरकार हर प्रकार से उद्द्योगपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ पहुंचाने में जी-जान से लगी हैं और यहाँ तक कि, 16 मार्च 2018 को केंद्र की मोदी सरकार ने "औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 में बदलाव कर सभी उद्योगों में ‘निश्चित अवधि के रोजगार’ की व्यवस्था लागू कर दी है और तमाम श्रमिक हित के श्रम-कानूनों को समाप्त कर रही है, जिससे बेरोजगारी, चापलूसी, बेईमानी, और भ्रष्टाचार तेज़ी से बढ़ेगा जिससे समाज में अराजकता भी बढ़ेगी.
[सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव, प्रदेश अध्यक्ष (उत्तर प्रदेश), लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी तथा महामंत्री - रेल सेवक संघ]
श्रम कानून- औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 में बदलाव का दिन-शुक्रवार 16 मार्च 2018- काळा दिवस के रूप में दर्ज़ होगा.
श्रीवास्तव ने कहा कि, "देश के कामगारों को "उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं" की एकता और आंदोलन से सबक लेना चाहिए तथा राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा किये जा रहे निजीकरण के प्रयास और श्रमिक हितों के श्रम-कानूनों को समाप्त करने बिरुद्ध एकजुट होकर संघर्ष का बिगुल फूंक देना चाहिए.
ज्ञातब्य हो कि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा इतने बडे बिजली-विभाग को क्रमबद्व तरीके से पूंजीपतियों के हाथों में सौपने का था जिसको बिजली कर्मचारियों ने बचा लिया है। आगे भी अनेको निगम एवं सरकारी सम्पत्तियां इस सरकार के निशाने पर होना सम्भव है क्योंकि पूंजीवादी सरकार की प्रवृत्ति केन्द्र से लेकर प्रदेश तक एक जैसी है। कैबिनेट की 16 मार्च को हुई बैठक में लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, मुरादाबाद व गोरखपुर की बिजली व्यवस्था फ्रेंचाइजी को सौंपने का फैसला किया गया था।
प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार व विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच बृहस्पतिवार को हुई वार्ता और लिखित समझौते के बाद बिजली कर्मियों ने आंदोलन खत्म कर दिया। निजीकरण के विरोध में वे 17 मार्च से ही आंदोलन पर थे।
राष्ट्रीय लोकदल उ0प्र0 के अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने बिजली कर्मचारी यूनियन की एकजुटता की प्रशंसा करते हुये कहा कि प्रदेश की योगी सरकार को अनावश्यक निजीकरण का फैसला वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा इतने बडे विभाग को क्रमबद्व तरीके से पूंजीपतियों के हाथों में सौपने का था जिसको बिजली कर्मचारियों ने बचा लिया। आगे भी अनेको निगम एवं सरकारी सम्पत्तियां इस सरकार के निशाने पर होना सम्भव है क्योंकि पूंजीवादी सरकार की प्रवृत्ति केन्द्र से लेकर प्रदेश तक एक जैसी है।
डॉ. अहमद ने कहा कि विद्युत विभाग के निजीकरण से एक ओर किसी बडे धन्नासेठ को लाभ पहुंच सकता था और दूसरी ओर प्रदेश के हजारों युवा ठगे रह जाते क्योंकि विद्युत विभाग की नौकरी पूंजीपति की दया पर निर्भर हो जाती और सरकार अपना पल्ला झाडकर दूर बैठ जाती। एक वर्ष का जश्न मना चुकी सरकार ने युवा बेरोजगारों को नौकरी देने की दिशा में अभी तक प्रभावी कदम नहीं उठाया है। जिस प्रकार केन्द्र सरकार चार साल में चार लाख भी नौकरियां नहीं दे सकी जबकि उसकी घोषणा ढाई करोड नौकरियां प्रतिवर्ष देने की थी। प्रदेश सरकार भी उन्हीं पद चिन्हों पर चलकर प्रदेश के युवाओं को ठगने का कुचक्र रचती रहती है।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक वर्ष में प्रदेश का किसान, मजदूर, युवा बेरोजगार कई बार झूठे लॉलीपाप दिखाकर ठगे गये हैं और आज भी विभिन्न प्रकार की कूटरचनाओं के माध्यम से सरकारी प्रयास जारी हैं। यह निश्चित है कि 2019 में प्रदेश का किसान और नौजवान भाजपा मुक्त प्रदेश तैयार करने की ओर कदम बढा चुका है और उसका यह सोच अवश्य परवान चढेगी तथा उत्तर प्रदेश किसान मसीहा चौ. चरण सिंह के सपनों का प्रदेश बनेगा।
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