नमो ऐप विवाद : अमेरिकी कंपनी का डेटा बेचने या किराए पर देने से इनकार
भाषा / वॉशिंगटन 27 मार्च: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक मोबइल ऐप को लेकर आरोपों का सामना कर रही अमेरिकी कंपनी ने आज सफाई पेश की है। कंपनी पर आरोप है कि उसने बिना उपयोगकर्ताओं की सहमति के मोदी ऐप से उनका व्यक्तिगत डेटा प्राप्त किया। कंपनी ने कहा कि वह डेटा को बेचती या किराए पर नहीं देती है। कंपनी के सह-संस्थापक आनंद जैन ने ई-मेल से भेजे जवाब में कहा, 'प्रकाशक द्वारा उसके पास संग्रहित डेटा तक क्लेवरटैप के कर्मचारियों की कोई पहुंच नहीं है।' उनसे पूछा गया था कि क्या नमो ऐप के जरिये कंपनी की पहुंच उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारियों तक है। अमेरिका की पांच साल पुरानी स्टार्टअप कंपनी को शोधकर्ता के आरोप के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
शोधकर्ता का आरोप है कि मोदी का नमो ऐप नाम, ई-मेल, मोबाइल नंबर, उपकरण की जानकारी और लोकेशन जैसी निजी जानकारियां बिना उपयोगकर्ताओं की सहमति के कंपनी द्वारा नियंत्रित सर्वरों को भेज रहा है। शोधकर्ता इलियट एल्डरसन ने ट्वीट करके खामी उजागर की थी। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि डेटा का इस्तेमाल केवल थर्ड पार्टी एनालिटिक्स के लिए होता है। जैन ने कल अपने ब्लॉग पोस्ट में बिना नमो ऐप का नाम लिए कहा, 'निजता, सुरक्षा और क्लेवरटैप जैसे सेवा प्रदाताओं की भूमिका को लेकर हाल में चल रही चर्चा को लेकर ... हम सुरक्षा, उपयोगकर्ता की सहमति और डेटा सुरक्षा को लेकर अपना रुख स्पष्ट करना चाहते हैं ... क्लेवरटैप प्रकाशकों के डेटा के साथ बेचने, साझा करने, किराए पर देने जैसा कोई काम नहीं करती है।'
जैन ने कहा कि प्रकाशकों द्वारा एकत्र डेटा और सेवा प्रदाता के साथ साझा किए डेटा का नियंत्रण प्रकाशकों की गोपनीय नीति के आधार पर होता है। हम न तो प्रकाशकों की गोपनीय नीति को नियंत्रित करते हैं और न ही उनकी समीक्षा करते हैं। हम अपने स्तर पर अन्य स्त्रोतों से प्राप्त डेटा का संयोजन या उसको बढ़ाते नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि क्लेवरटैप ब्रॉन्ड है और उसकी पैतृक कंपनी का नाम विजरॉकेट है। कंपनी की स्थापना मई 2013 में तीन भारतीयों - आनंद जैन, सुनील थॉमस और सुरेश कोंडामुडी ने की थी।
(साभार: बिजनेस स्टैण्डर्ड)
संपादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
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