'महाराजा' संग मिलेंगे 'सेवक' भी!
> नौकरी के संकट से बचाने की कवायद.
> एयर इंडिया के कर्मचारियों के हित में शेयर खरीद करार में इसे शामिल करेगी सरकार
नयी दिल्ली, 26 मार्च: सरकार एयर इंडिया की बिक्री के तहत शेयर खरीद समझौते में एक प्रावधान शामिल कर सकती है, जिससे निजीकरण के बाद कंपनी के कर्मचारियों के समक्ष तत्काल नौकरी का संकट न खड़ा हो। इसका मतलब यह होगा कि सफल बोलीदाता को एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के सभी कर्मचारियों को भी लेना होगा और बिक्री पूरी होने के एक साल तक उन्हें हटा नहीं सकेंगे। ताजा आंकड़ों के अनुसार इन दोनों कंपनियों में कुल 13,868 कर्मचारी हैं। सरकार ने विमानन कंपनी एयर इंडिया और किफायती विमानन सेवा इकाई एयर एक्सप्रेस को एक साथ बेचने का निर्णय किया है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कर्मचारियों को निजी क्षेत्र की कंपनियों के तहत इस्तीफा देने को नहीं कहा जाएगा और कम से कम एक साल उन्हें अपने साथ बनाए रखने को कहा जाएगा।' उक्त अधिकारी ने कहा कि एक साल के बाद एयर इंडिया के नए मालिक कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) पर निर्णय कर सकते हैं। हालांकि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि वीआरएस की शर्तें कर्मचारियों की सेवा परिस्थिति के अनुरूप हो।
दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डे के निजीकरण के समय भी इसी तरह का मॉडल अपनाया गया था, जिसमें जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर और जीवीके समूह को दिल्ली हवाई अड्डे और मुंबई हवाई अड्डे के कर्मचारियों को तीन साल तक अपने साथ बनाए रखने को कहा गया था। इस अवधि के बाद निजी क्षेत्र के मालिक ने इन हवाई अड्डों पर कार्यरत एएआई के 60 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी की पेशकश की थी। वर्ष 2009 में सरकार ने उन कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना को मंजूरी दी, जिन्होंने निजी कंपनी को ज्वॉइन नहीं किया था।
इस योजना के प्रारूप के बारे में पूछे जाने पर नागरिक उड्डयन सचिव राजीव नयन चौबे ने कोई टिप्पणी नहीं की। हालांकि उन्होंने कहा, 'हम एयर इंडिया के कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे।' संभावित बोलीदाताओं के अनुसार एयर इंडिया के कर्मचारियों का मसला संभावित बोलीदाताओं के लिए चिंता का विषय हो सकता है। तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग फर्म सेलेेबी ने एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग इकाई को खरीदने की इच्छा जताई है। उसने कहा कि अगर सरकार कर्मचारियों को साथ रखना अनिवार्य करती है तो एयर इंडिया के मूल्य में कमी आ सकती है। सेलेेबी के बोर्ड सदस्य कैना सेलेबायोग्लू ने कहा, 'अगर सरकार एयर इंडिया की अधिकतम कीमत मांंगेगी और पुराने कर्मचारियों को भी साथ रखना होगा तो यह उचित नहीं होगा।'
इससे पहले सरकार ने गैर-तकनीकी कर्मचारियों को वीआरएस देने का विचार किया था लेकिन बाद में इस प्रस्ताव को टाल दिया गया। सरकार का मानना है कि एयर इंडिया के काफी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र नजदीक है, ऐसे में काफी संख्या में कर्मचारी जल्द सेवानिवृत्त हो सकते हैं। एयर इंडिया के कर्मचारियों की औसत उम्र 55 वर्ष है जबकि सेवानिवृत्ति की आयु 58 साल है। ऐसे में सरकार का मानना है कि बिक्री प्रक्रिया के तौर पर उदार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पर बातचीत करने में मदद मिल सकती है। एयर इंडिया के गैर-तकनीकी कर्मचारियों की औसत आयु अधिक होने की वजह यह है कि 2012 से नई भर्तियों पर रोक लगा दी गई है।
न्यायमूर्ति डीएम धर्माधिकारी के अध्यक्षता वाली समिति ने एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस के 2012 में विलय के संदर्भ में मानव संसाधन का मूल्यांकन किया था। समिति ने विमानन कंपनी के कर्मचारियों के लिए वीआरएस लाने की सिफारिश की थी। इसके बाद एयर इंडिया ने कर्मचारियों की संख्या घटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी और नियमित कर्मचारियों की भर्ती बंद कर दी। उसके बाद से कैबिन क्रू और पायलटों को अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया जा रहा है।
अधिकारी ने कहा, 'कंपनी के कर्मचारियों की औसत आयु 55 साल है। ऐसे में अगर बेहतर वीआरएस पैकेज दिया गया तो कर्मचारियों को इसे स्वीकार करने में परेशानी नहीं होगी।'कुल मिलाकर एयर इंडिया और इसकी पांच सहायक इकाइयों में 22,000 कर्मचारी है, जिनमें से एयर इंडिया में करीब 12,000 कर्मचारी तैनात हैं। इनमें से 896 पायलट हैं और 2,750 कैबिन क्रू है, जिन्हें तकनीकी कर्मचारी कहा जाता है। शेष कर्मचारी गैर-तकनीकी हैं और ग्राउंड हैंडलिंग और प्रबंधन के काम से जुड़े हैं।
(साभार: बिजनेस स्टैण्डर्ड)
संपादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
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