चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर आपस में भिड़ी ICC और BCCI, ये है वजह
नई दिल्ली, 21 मार्च: एक बार फिर से आईसीसी और बीसीसीआई के बीच में मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। इस बार मामला रिवेन्यू का नहीं बल्कि क्रिकेट के फॉर्मट में बदलाव का है। विवाद 2021 में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी से जुड़ा है। दरअसल आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट के प्रारूप को बदलकर ट्वेंटी-20 करने का प्रस्ताव दे रही है जबकि भारतीय बोर्ड इसे पुराने 50 ओवर प्रारूप में खेलाने का पक्षधर है। बता दें कि चैंपियंस ट्रॉफी का अगला संस्करण 2021 में अक्टूबर से नवंबर में भारत की मेजबानी में प्रस्तावित है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक फरवरी में हुई आईसीसी की मीटिंग जब इस सिलसिले में चर्चा हुई तो बोर्ड के अधिकारियों का कहना था कि चैंपियंस ट्रॉफी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया की सोच थी। 2021 में जगमोहन डालमिया के इंतकाल को पांच साल हो जाएगें ऐसें में बोर्ड उनके ख्वाब यानी चैंपियंस ट्रॉफी के फॉर्मेट में किसी भी बदलाव को मंजूर नहीं कर सकती है। दरअसल आईसीसी चाहता है कि चैंपियंस ट्रॉफी का फॉर्मट छोटा हो ताकि अधिक लाभ कमाकर अपने बोर्ड सदस्यों को प्रस्तावित राजस्व बंटवारे से होने वाले नुकसान को भी कम कर सके। हाल ही में आईसीसी ने भारत की मेजबानी में होने वाले टूर्नामेंट के लिए भारत सरकार से भी कर में छूट की मांग की थी लेकिन इस दिशा में बीसीसीआई या सरकार से उसके कोई मदद नहीं मिली जिससे वैश्विक संस्था पहले ही भारतीय बोर्ड से काफी नाराज माना जा रहा है। इन सभी विवादों और मतभेदों के बाद अब माना जा रहा है कि आईसीसी किसी नए वेन्यू (देश) की तलाश कर रहा है। एक दूसरा मुद्दा ये भी है कि क्या भारत सरकार पाकिस्तान के खिलाड़ियों को 2021 में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के लिए वीजा देगी? हालांकि, इस ताजा विवाद पर बीसीसीआई के अधिकारियों ने चेतावनी दी कि अपने राजस्व घाटे को खत्म करने के लिए भारतीय माहौल का इस्तेमाल करने की कोशिश केवल आईसीसी को परेशानी में ही दे सकती है। बीसीसीआई अधिकारी के मुताबिक, "बीसीसीआई आईसीसी के राजस्व घाटे को अपनाने के लिए तैयार नहीं हो सकता है। आईसीसी को भारत सरकार द्वारा मुनाफे के लिए कर छूट मुहैया कराने की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। इस तरह के प्रयासों से आईसीसी के लिए चीजें मुश्किल हो जाएंगी।"
(साभार: मल्टी मीडिया)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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