संशोधन विदेशी चंदा नियमन कानून: भा.ज.पा. और कांग्रेस का एक गंभीर खड्यंत्र हैं ___ रघु ठाकुर:
>कांग्रेस-भाजपा विदेशी चंदा लेने में दोषी
>चोर- चोर मौसेरे भाई - सरकार ने राजनैतिक पार्टियों को दी भ्रष्टाचार की खुली छूट!
संशोधन विदेशी चंदा नियमन कानून:
वित्त विधेयक 2018 में बुधवार को किए गए संशोधनों को लोकसभा की वेबसाइट पर सूचीबद्ध किया गया है, इसके अनुसार, 'वित्त अधिनियम, 2016 की धारा 236 के पहले पैराग्राफ में 26 सितम्बर 2010 के शब्दों और आंकड़ों के स्थान पर 5 अगस्त 1976 शब्द और आंकड़े पढ़े जाएंगे।
दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले से बचने में मदद मिलेगी, जिसमें दोनों दलों को एफसीआरए कानून के उल्लंघन का दोषी पाया गया, एफसीआरए 1976 में पारित किया गया। इसमें, भारतीय और विदेशी कंपनी जो विदेश में पंजीकृत है अथवा उसकी अनुषंगी विदेश में है उसे विदेशी कंपनी माना गया है तथा अगर किसी कंपनी में विदेशी हिस्सेदारी 50% से कम है तो उसे विदेशी फर्म नहीं माना जाए। हालांकि, इस नियम को सितंबर 2010 से लागू किया गया और 1976 से 2010 तक पार्टियों को मिले चंदे की स्क्रूटनी शुरू हुई थी।
गौरतलब है कि लोकसभा ने बुधवार को विपक्षी दलों के विरोध के बीच वित्त विधेयक 2018 में 21 संशोधनों को मंजूरी दी। उनमें से एक संशोधन विदेशी चंदा नियमन कानून, 2010 से संबंधित था।
रघु ठाकुर
इस संसोधन की लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक - महान समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर ने कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे एक गंभीर षड्यंत्र बताया और कहा कि, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्यूलेशन एक्ट (एफसीआरए) का उलंघन कर आर्थिक अपराध किया था तथा वर्ष 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में भी भाजपा और कांग्रेस को "फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्यूलेशन एक्ट (एफसीआरए)" के उल्लंघन का दोषी माना था। बिल में संशोधन से अब दोनों पार्टियां सजा से बच गयी हैं। यह संशोधन नहीं बल्कि,यह संशोधन भा.ज.पा. और कांग्रेस का एक गंभीर षड्यंत्र है.
आज जब देश की जनता के एक - एक पैसे का हिसाब सरकार लेती है और कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी मुख्य रूप से एक दूसरे की बिरोधी नजर आते हैं, तो इस संसोधन का बिरोध क्यों नहीं ?-
क्या भा. ज. पा. और कांग्रेस दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई नहीं नजर आ रहे हैं ?-
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