मुंबई पहुंचा 30 हजार किसानों का जत्था.
1753 किसान कर चुके हैं आत्महत्या.
महाराष्ट्र के नासिक से निकला करीब 30 हजार किसानों का जत्था रविवार को मुंबई पहुंच गया है. शिवसेना यूथ विंग के लीडर आदित्य ठाकरे ने यहां किसानों से मुलाकात की और फिर वह रैली में शामिल भी हुए. महाराष्ट्र में ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के बैनर तले किसान लंबे समय से कर्जमाफी की मांग को लेकर आंदोलन पर हैं.
किसानों के प्रदर्शन के बीच RSS के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने भी कृषि नीति को बदलने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को उनके उत्पादन के लिए उचित मूल्य मिले. उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार किसानों के मुद्दों को लेकर असंवेदनशील नहीं हो सकती. इसके लिए व्यवहारिक समाधान की जरूरत है.
बता दें कि किसानों के इस जत्थे ने 5 मार्च को सेंट्रल नासिक के सीबीएस चौके से अपनी रैली शुरू की थी. हर रोज 30 किलोमीटर की पदयात्रा करते ये किसान 12 मार्च को विधानसभा घेरने वाले हैं.
यात्रा में शामिल किसानों का जगह-जगह स्वागत किया जा रहा है. इस रैली में आत्महत्या कर चुके किसानों के परिजन भी शामिल हैं. दूसरी तरफ राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुंगंतीवार ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है और किसानों के कर्ज भी माफ किए जा रहे हैं.
मुंबई के करीब बढ़ रहे इस लाल रंग के जत्थे से बातचीत करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने मंत्री गिरीश महाजन को सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया है.
शिवसेना के अलावा कांग्रेस ने भी इस रैली का समर्थन किया है.
एआईकेएस के महासचिव अजीत नवाले ने कहा कि 180 किलोमीटर लम्बी पदयात्रा की शुरुआत लगभग 12,000 किसानों के साथ हुई थी और अब यह संख्या 30,000 तक पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि किसानों के बीच बढ़ते असंतोष की इस बात से समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो मार्च में शामिल होने वाले लोगों की संख्या 55,000-60,000 तक पहुंच जाएगी.
वहीं एक किसान नेता ने कहा कि हम फॉरेस्ट एक्ट, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश, कर्ममाफी, बिलजी बिल माफी आदि की मांग कर रहे हैं.
उनके मुताबिक 2005 में आया लेकिन आदिवासियों को उनकी ज़मीन का अधिकार नहीं मिला, अभी भी लाखों किसानों की ज़मीने जंगलों के बीच में हैं, ये ज़मीनें उनके पूर्वजों की हैं लेकिन फिर भी उन ज़मीनों का मालिकाना हक उन्हें नहीं मिला है, कानून इनके साथ है तब भी वे परेशानी क्यों उठाएं?
दूसरी अहम मांगों में स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिशें लागू करने की मांग, न्यूनतम समर्थन मूल्य को बेहतर करने की मांग और बूढ़े किसानों को पेंशन की मांगें शामिल हैं. जब तक सरकार किसानों से बातचीत की पहल नहीं करती तब तक महाराष्ट्र में गतिरोध बना रहेगा. फिलहाल सरकार की तरफ से किसान प्रदर्शनकारियों से कोई औपचारिक बातचीत नहीं की गई हैं.
1753 किसान कर चुके हैं आत्महत्या
किसानों ने कर्ज माफी और बिजली बिल माफी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग की है. एआईकेएस सचिव राजू देसले ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, 'हम लोग राज्य सरकार से चाहते हैं कि वह सुपर हाइवे और बुलेट ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट के नाम पर खेती की जमीन जबरन लेना बंद करे.' उन्होंने कहा कि 25,000 किसान मुंबई तक मार्च करने के लिए निकल चुके हैं.
देसले ने दावा किया कि बीजेपी सरकार की ओर से 34,000 करोड़ रुपए की सशर्त कर्ज माफी की घोषणा के बाद से अब तक 1,753 किसान खुदकुशी कर चुके हैं. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर 'किसान विरोधी' नीति अपनाने का आरोप लगाया.
एआईकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धावले, स्थानीय विधायक जे पी गवित और अन्य नेता इस मार्च की अगुआई कर रहे हैं. किसानों की यह यात्रा 12 मार्च को समाप्त होगी. धावले ने कहा कि बीजेपी सरकार ने किसानों से किए गए वादे पूरा न करके उनके साथ धोखा किया है.
(साभार-न्यूज़-18 )
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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