1,000 करोड़ रुपये के कर रिफंड का फर्जीवाड़ा!
► सरकारी और पीएसयू के कर्मचारियों ने संशोधित रिटर्न में किया ज्यादा रिफंड का दावा
► रिफंड के लिए फर्जी दस्तावेज का सहारा लेने का आरोप
► पिछले तीन साल से संशोधित रिटर्न में आई है तेजी
मुंबई 06 मार्च 2018:
वित्त वर्ष 2016-17 के लिए संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल करने के एक माह से भी कम समय में आयकर विभाग ने कई शहरों में भारी फर्जीवाड़े का पता लगाया है। इसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों और खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर भारी कर रिफंड का दावा करने का मामला सामने आया है।
अकेले मुंबई में करीब 17,000 संशोधित रिटर्न दाखिल कर रिफंड का दावा किया गया है। इसी तरह बेंगलूरु में आयकर विभाग को 1,000 से ज्यादा ऐसे रिटर्न का पता चला है, जिसमें होम लोन के मद में भुगतान के एवज में बढ़ा-चढ़ाकर रिफंड का दावा किया गया है। सूत्रों के मुताबिक कर विभाग अभी इस मामले की जांच कर रहा है, ऐसे में इसकी रकम का पता तो नहीं चल पाया है लेकिन इसके 1,000 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे अधिकांश रिफंड दावे सरकारी या सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों द्वारा किए गए हैं।
आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'इन करदाताओं के मूल रिटर्न पहले ही आयकर विभाग द्वारा प्रोसेस किए जा चुके हैं। लेकिन उन्होंने संशोधित रिटर्न दाखिल कर रिफंड का दावा किया है।' कर विभाग को उस समय संदेह हुआ जब पिछले तीन वर्षों के लिए एकसमान प्रारूप नजर आया। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'पिछले तीन वर्षों के दौरान संशोधित कर रिटर्न दाखिल करने के मामले में काफी तेजी आई है। हमने डेटा माइनिंग के जरिये इन करदाताओं को चिह्नित किया है। हम यह पता लगाने में सक्षम हुएहैं कि किस तरह से लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कर रिफंड का दावा करते हैं।'
अधिकारी ने कहा, 'करदाता पिछले दो वित्त वर्ष के लिए संशोधित रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए करदाता 31 मार्च 2018 तक वित्त वर्ष 2016 और वित्त वर्ष 2017 के लिए संशोधित रिटर्न दाखिल कर सकते थे।'फर्जी रिफंड दावे के बारे में कर अधिकारी ने कहा कि कुछ करदाताओं ने अपने मूल कर रिटर्न में मकान से कोई आय का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन संशोधित रिटर्न में नुकसान का दावा किया है। आयकर कानून की धारा 24 के तहत आवास ऋण पर देय ब्याज पर कर कटौती का लाभ मिलता है। मकान से आय नहीं होने की स्थिति में मकान पर नुकसान होता है जिसके लिए रिफंड का दावा किया जाता है।
कर अधिकारी ने कहा कि खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने, समुचित जानकारी नहीं देने और फर्जी दस्तावेजों के जरिये करचोरी के मामले सामने आए हैं।ऐसे अधिकांश रिटर्न सरकारी और पीएसयू कर्मचारियों द्वारा किए गए हैं, इसलिए कर विभाग ने इसकी जानकारी सीबीआई को दी है, ताकि मामले का सही पता लगाया जा सके।
कर अधिकारियों ने कहा कि संशोधित रिटर्न की जानकारी सिस्टम द्वारा स्वत: जेनरेट होती है जिससे रिफंड प्रोसेस करने वाले अधिकारियों की नजर उस पर जाती है। इस वित्त वर्ष में 10 फरवरी तक कर विभाग ने 1.42 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया है। 4.19 करोड़ रिटर्न प्रोसेस किए गए और 1.62 करोड़ करदाताओं को रिफंड जारी किए गए। आमतौर पर कर विभाग 50 हजार से कम रिफंड का दावा करने वाले छोटे करदाताओं को प्राथमिकता देता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक जारी कुल रिफंड में से 90 फीसदी रिफंड छोटे करदाताओं और वेतनभोगियों को दिए गए हैं।
(साभार: बिजनेस स्टैन्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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