उत्तर प्रदेश: अब विधान परिषद में भी दिखी सपा-बसपा की जुगलबंदी
विपक्ष के सभी दलों ने समर्थन करते हुए दोषी अधिकारी को सदन में बुलाये जाने की मांग की।
सभापति रमेश यादव ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
लखनऊ: लोकसभा उपचुनाव में सपा को बसपा के समर्थन के बाद सोमवार को विधान परिषद में भी दोनों पार्टियों के बीच जुगलबंदी दिखाई दी। सपा ने बसपा सदस्य के विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया। इस पर विपक्ष के सभी दलों ने समर्थन करते हुए दोषी अधिकारी को सदन में बुलाये जाने की मांग की। अंत में सभापति रमेश यादव ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने नियत 223 के तहत विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया। उन्होंने बसपा सदस्य दिनेश चन्द्रा का मामला उठाते हुए सुलतानपुर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को सदन में बुलाने व नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाये। सपा सदस्य ने कहा कि यह मामला 16 फरवरी को बसपा सदस्य दिनेश चन्द्रा ने उठाया था। विधान परिषद सदस्य होने के बावजूद उन्हें सुलतानपुर नगर पालिका परिषद की बैठक में नही बुलाया गया। नेता सदन ने इस मामले में कार्रवाई की बात कही थी।
शिक्षक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि यह विशेषाधिकार हनन का मामला है। इस मामले में दोषी अधिकारी को सदन में बुलाकर पूछताछ होनी चाहिए। कांग्रेस के सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया। सपा सदस्यों ने कहा कि संविधान के 74वें संशोधन के तहत विधायक व सांसद पदेन सदस्य होते हैं। इसके बावजूद अफसर विधान परिषद के सदस्यों को विधायक न मानकर सदन की बैठकों में नहीं बुलाते हैं।
नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि नियमों का पालन करने के लिए अधिकारी बाध्य हैं। इस मामले में अधिकारी से लिखित रूप से पूछताछ की जाएगी। प्रमुख सचिव नगर विकास इस मामले की जांच करेंगे। जांच रिपोर्ट आने के बाद सरकार कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी साफ किया कि इससे पहले जब यह नोटिस आया था तो उन्होंने यह कहा था कि इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सदन को गुमराह नहीं किया। इस पर बसपा व सपा सदस्य खड़े हो गए और अधिकारी को सदन में बुलाने की मांग करने लगे। अंत में सभापति रमेश यादव ने यह मामला सुरक्षित रख लिया। उन्होंने कहा कि सभी दलों के नेताओं से बात करने के बाद इस पर कोई निर्णय दिया जाएगा।
(साभार: जागरण)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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