मुख्य सचिव - आप विवाद : अदालत ने कहा, दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास होना चाहिए था
दिल्ली विधानसभा की ओर से जारी विशेषाधिकार उल्लंघन का नोटिस ‘‘आग में घी का काम करता है।’
नयी दिल्ली, 05 मार्च 2018: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि आप सरकार और मुख्य सचिव अंशु प्रकाश दोनों ही ‘‘पक्षों’’ की ओर से ‘‘गुस्से को शांत’’ करने का प्रयास करना चाहिए था और दिल्ली विधानसभा की ओर से जारी विशेषाधिकार उल्लंघन का नोटिस ‘‘आग में घी का काम करता है।’’
न्यायमूर्ति जी. एस. सिस्तानी और न्यायमूर्ति संगीता ढ़ींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि प्रकाश मुख्य सचिव हैं और अगर उन्हें सम्मान नहीं मिला तो काम कैसे होगा।
पीठ ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों की ओर से गुस्से को शांत करने का प्रयास होना चाहिए था। ऐसे नोटिस आग में घी का काम करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह आपके मुख्य सचिव हैं। यदि आप उनकी इज्जत नहीं करेंगे तो चीजें कैसे काम करेंगी। क्या उन्हें बुलाने का और कोई तरीका नहीं था?’’
इसपर आप सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने सवाल पूछा कि यदि मुख्य सचिव सहयोग करने से इनकार करते हैं तो, ऐसी स्थिति में सरकार को सूचनाएं कैसे मिलेंगी।
अदालत दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति की ओर से आहूत बैठक में कथित रूप से भाग नहीं लेने के कारण जारी नोटिस को चुनौती देने वाली मुख्य सचिव की याचिका पर सुनवायी कर रही थी।
मामले की सुनवायी अभी पूरी नहीं हुई है और वह भोजनावकाश के बाद भी जारी रहेगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि मामला एकल पीठ के समक्ष आना चाहिए था।
मुख्य सचिव की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ‘‘जब समिति में अमानतुल्ला खान जैसे लोग शामिल हैं, तो ऐसी बैठकों में हिस्सा लेकर क्या हासिल होगा।’’
खान फिलहाल एक अन्य विधायक प्रकाश जारवाल के साथ वरिष्ठ नौकरशाह की कथित रूप से पिटाई करने के मामले में जेल में बंद हैं।
इससे पहले मामले पर सुनवायी के लिए सहमत होते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरी शंकर की पीठ ने इसे उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।
मुख्य सचिव की ओर से पेश हुए वकील विवेक चिब ने नोटिस रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा कि प्रकाश को ‘‘जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश होने के कहा गया था, लेकिन उन्हें ना तो शिकायत की प्रति दी गयी और ना ही उसका जवाब देने का अवसर।’’
समिति की ओर से बुलायी गयी बैठक में शामिल नहीं होने के बाद सदन की अवमानना के लिए समिति ने मुख्य सचिव के खिलाफ 21 फरवरी को विशेषाधिकार हनन कार्यवाही की सिफारिश की थी।
दिल्ली विधानसभा की समिति ने कल प्रकाश पर आरोप लगाया कि उन्होंने विशेषाधिकार नोटिस के उल्लंघन के संबंध में उच्च न्यायालय से ‘‘झूठ’’ बोला है।
(साभार- भाषा)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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