इटावा (उ.प्र.): अखिलेश ने शिवपाल के पड़े पैर पर नहीं मिला आर्शीवाद !
अखिलेश और शिवपाल ने सैफई में कार्यकर्ताओं के साथ खेली फूलों की होली.
अखिलेश ने शिवपाल के पड़े पैर पर नहीं मिला आर्शीवाद, मंच पर एक साथ दिखे फिर भी रही दूरियां !
राजब्बर ने शिवपाल को दिया कांग्रेस में आने का न्यौता
इटावा: शुक्रवार को होली के मौके पर मुलायम परिवार एक साथ दिखाई दिया। पूर्व सीएम अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक मंच पर एक साथ दिखे। इस दौरान अखिलेश ने चाचा शिवपाल के पैर पड़कर आशीर्वाद लिया, लेकिन शिवपाल यादव अखिलेश की तरफ बिना देखे और बात किए हुए आगे बढ़ गए। अखिलेश और शिवपाल ने सैफई में कार्यकर्ताओं के साथ फूलों की होली खेली। इस मौके पर सपा समर्थकों की होली की खुशी और दोगुनी हो गई जब शिवपाल सिंह यादव भी होली खेलने अपने बेटे आदित्य यादव के साथ मंच पर पहुंचे।
- दरअसल परिवार में चाचा भतीजे के बीच चल रही कलह के बाद यह सैफईवासियों के लिए यह पहला मौका था जब अखिलेश यादव और शिवपाल एक साथ एक मंच पर नजर आएं हो। शिवपाल सिंह के मंच पर पहुंचते ही अखिलेश यादव ने कुर्सी से खड़े होकर चाचा से आशीर्वाद लिया लेकिन इस बाद दोनों लोग मंच पर तो रहे लेकिन दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। प्रो राम गोपाल यादव इस होली कार्यक्रम में शामिल नहीं थे।
पोस्टर में अखिलेश-मुलायम की फोटो
- मंच पर परिवार तो एक साथ दिखा लेकिन दूरियां भी दिखाई दीं। सैफई स्थित मुलायम सिंह यादव के आवास के बाहर देखने को मिली। होली के मौके पर लगे पोस्टर पर शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव की फोटो गायब थी। समारोह पंडाल में यह बैनर समाजवादी लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप तिवारी लगाया था। बैनर में सिर्फ मुलायम सिंह व अखिलेश की ही फोटो लगाई गई थी।
- हालांकि की बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव के कहने के बाद पोस्टर हटवा दिया गया था।
अखिलेश ने नहीं ट्वीट की शिवपाल की फोटो
- अखिलेश यादव ने ट्विटर पर होली खेलते हुए फोटो पोस्ट की है लेकिन, उन्होंने शिवपाल यादव की कोई भी फोटो पोस्ट नहीं की है।
ये भी थे मौजूद
- इस मौके पर सांसद बदायू धर्मेंद्र यादव, सांसद मैनपुरी तेज प्रताप यादव, इटावा ज़िला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक यादव, पूर्व चैयरमेन फुरकान अहमद आदि सपा नेता और समर्थक मौजूद रहे।
राजब्बर ने शिवपाल को दिया कांग्रेस में आने का न्यौता
- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने हाल ही में कहा था कि शिवपाल यादव यदि कांग्रेस में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है लेकिन इस बारे में उनसे अब तक संपर्क नहीं किया गया है। उन्होंने ये बात इलाहाबाद में कही थी।
1 घंटे का रह गया झगड़ा खत्म हो जाएगा
- सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने फिर इस बात को स्वीकार किया कि शिवपाल और अखिलेश का झगड़ा अब सिर्फ एक घंटे का रह गया है। जिस दिन हम तीनों बैठ जाएंगे, उस दिन झगड़ा खत्म हो जाएगा। सभी लोग पार्टी मजबूत करने को निकल पड़ेंगे।
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले जून में शुरू हुआ था विवाद
# जून 2016
- सपा में जून, 2016 में उस वक्त विवाद शुरू हुआ, जब बाहुबली मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर अखिलेश राजी नहीं थे। इसके बावजूद शिवपाल और मुलायम सिंह ने अंसारी की पार्टी को सपा में विलय करा लिया था। कहा जाता है कि तभी से पार्टी में इन दो गुटों के बीच विवाद शुरू हो गया था।
# जुलाई 2016
- जुलाई में जब अखिलेश-शिवपाल के बीच तनातनी बढ़ने लगी तो मुलायम ने एक बयान में कहा था - "इलेक्शन के बाद पार्टी विधायक तय करेंगे कि सीएम कौन बनेगा। शिवपाल ने कहा था- मैं लिखकर देता हूं कि सीएम अखिलेश ही होंगे।"
- शिवपाल ने एक बयान में कहा था- "कुछ लोगों को सत्ता विरासत में मिल जाती है, कुछ की जिंदगी सिर्फ मेहनत करते गुजर जारी है।"
- इसके बाद मुलायम ने कहा- "शिवपाल ने जो पार्टी के लिए किया है, वो कोई नहीं कर सकता।"
# अक्टूबर 2016
- अक्टूबर में अखिलेश ने शिवपाल और उनके समर्थक चार मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था। अमर सिंह का नाम लिए बिना उन पर दखलन्दाजी के आरोप लगाए। हालांकि, मुलायम के कहने पर इन सभी की कैबिनेट में वापसी हो गई थी।
# नवंबर 2016
- नवंबर में अखिलेश ने एक तरह से शिवपाल को चैलेंज दिया। कहा था- 3 नवंबर से रथ यात्रा निकालूंगा।
- शिवपाल का बयान आया- कार्यकर्ता 5 नवंबर को होने वाले रजत जयंती समारोह पर फोकस करें।
- इसके बाद रजत जयंती समारोह में मुलायम के सामने अखिलेश-शिवपाल के समर्थक भिड़े। माइक की छीना-झपटी हुई थी।
# दिसंबर 2016
- शिवपाल ने दिसंबर के शुरू में सपा कैंडिडेट की एक लिस्ट जारी की। मर्डर के दोषी अमनमणि त्रिपाठी के बेटे अमरमणि को टिकट दिया गया। अखिलेश इससे राजी नहीं थे। इसी लिस्ट में अखिलेश के एक करीबी का भी टिकट काटा गया था।
- शिवपाल ने अखिलेश के करीबी छह नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया। इस बीच, अखिलेश ने 235 कैंडिडेट्स की अलग लिस्ट जारी कर दी। यहीं से विवाद और तेज हो गया।
- मामला इतना बढ़ा कि मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
# जनवरी 2017
- रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी को लखनऊ में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया, जहां अखिलेश यादव भी मौजूद थे। इस अधिवेशन में 3 प्रस्ताव पास हुए।
पहला प्रस्ताव- अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट बनाया गया। रामगोपाल ने कहा अखिलेश को यह अधिकार है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और पार्टी के सभी संगठनों का जरूरत के मुताबिक फिर से गठन करें। इस प्रस्ताव की सूचना चुनाव आयोग को दी जाएगी।
दूसरा प्रस्ताव- मुलायम को समाजवादी पार्टी का संरक्षक बनाया गया।
तीसरा प्रस्ताव- शिवपाल यादव को पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट के पद से हटाया गया और अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया।
- इसके बाद 2 जनवरी को मुलायम, तो 3 जनवरी को रामगोपाल पार्टी के सिंबल के लिए इलेक्शन कमीशन पहुंचे थे।
- हालांकि, बाद में अखिलेश को ही साइकिल सिंबल मिला था।
(साभार: भाष्कर)
सम्पादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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