रेलवे का हुआ बेड़ा गर्क: दुरोंतो एक्सप्रेस का किराया राजधानी से ज्यादा और अब फ्लेक्सी किराया भी लागू.फिर भी लेटलतीफी जारी.
दुरंतो एक्सप्रेस रोज लगभग 6 घंटे 30 मिनट की देरी से पहुंचती है नई दिल्ली.
राजधानी एक्सप्रेस की तरह दुरोंतो एक्सप्रेस किराया होने के बाद भी यात्रियों के लिए ये ट्रेन बेकार साबित हो रही है.
यदि A.C. 3 टियर के किराए की बात करें तो दुरोंतो का किराया 3055 रुपए है, वहीं इस रूट पर चलने वाली राजधानी का किराया 2920 रुपए है, और अब फ्लेक्सी किराया भी लागू कर दिया है.
रेलवे का हुआ बेड़ा गर्क ______ (सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव, महामंत्री रेल सेवक संघ & प्रदेश अध्यक्ष (उत्तर प्रदेश)- लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी)
सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव, महामंत्री रेल सेवक संघ & प्रदेश अध्यक्ष (उत्तर प्रदेश)- लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी
लखनऊ, 01मार्च 2018: रेल सेवक संघ के महामंत्री और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष - सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव ने कहा कि, रेलवे का बेड़ा गर्क हो चुका है. रोज नए- नए उपाय कर रेल यात्रिओं और आम जनता को लूटा जा रहा है तथा रेलवे में फ्लेक्सी किराया कि पद्धति लागू करना भी एक लूट है. रेल को चलाने के लिए जब-तक रेल मंत्रालय लगभग 20 लाख रेल कर्मचारी और नहीं भर्ती करता, तब-तक फ्लेक्सी किराए से रेल का सुधार नहीं होने वाला है.
भारतीय रेल ने दुरोंतो एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच में राजधानी एक्सप्रेस की तरह किराया तो लागू कर दिया है लेकिन ये ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस की तुलना में बेहद ही बेकार साबित हो रही है. मसलन हावड़ा से नई दिल्ली के बीच चलने वाली 12273 दुरोंतो एक्प्रेस की बात करें तो ये ट्रेन हर रोज औसतन 6 घंटे 25 मिनट की देरी से नई दिल्ली पहुंचती है. ये आंकड़ा पिछले एक हफ्ते का है. इस ट्रेन का किराया तो उसी रूट पर चलने वाली हावड़ा राजधानी से भी ज्यादा है.
अगर एसी-3 के किराए की बात करें तो दुरोंतो का किराया 3055 रुपए है, वहीं इस रूट पर चलने वाली राजधानी का किराया 2920 रुपए है. यह किराया नई दिल्ली से हावड़ा तक का है और इसमें डायनेमिक चार्ज भी शामिल है. वहीं 12305 राजधानी एक्सप्रेस की बात करें तो पिछले एक हफ्ते में ये ट्रेन महज़ 5 मिनट की औसत देरी से नई दिल्ली पहुंची है.
वहीं सितंबर 2016 से राजधानी, शताब्दी और दुरोंतो एक्सप्रेस में फ्लेक्सी फेयर लागू कर दिया है. यानि टिकट बुकिंग के साथ ही इनका किराया बढ़ता रहता. इस ट्रेनों में शुरू के 10 फीसदी बुकिंग में बाद से ही डायनेमिक चार्च लगता है और 50 फीसदी सीटें बुक होने के बाद 50 फीसदी ज्यादा किराया देना होता है. यानि दुरोंतो एक्सप्रेस का किराया भले ही राजधानी से ज्यादा लग रहा हो लेकिन ये मेल एक्सप्रेस ट्रेनों से किसी भी दशा में बेहतर साबित नहीं हो रही है.
कोच के लिहाज से भी दुरोंतो एक्सप्रेस ट्रेनें राजधानी के मुक़ाबले में कहीं नहीं ठहरती हैं. भारतीय रेल ने राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों को गोल्ड स्टैंडर्ड में बदलना शुरू कर दिया है और राजधानी एक्प्रेस ट्रेनों के कोच (रेक) दुरोंतो की तुलना में बहुत ही बेहतर हैं.
(साभार: मल्टी मीडिया)
सम्पादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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