गीतांजलि जेम्स को लोन देने का दबाव था: इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर; जावड़ेकर बोले- प्रेशर किसने डाला?
इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दुबे ने कहा कि ये फ्रॉड यूपीए के वक्त शुरू हुआ और एनडीए में बढ़ा।
नई दिल्ली: 11356 करोड़ के पीएनबी फ्रॉड केस में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दुबे ने कहा, "मुझे निर्देश दिए गए कि ये लोन अप्रूव किया जाना है। मुझ पर दबाव बनाया जा रहा था इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया।" केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इन आरोपों पर सवाल किया कि दुबे पर दबाव बनाने के लिए फाइनेंस सेक्रेटरी पर दबाव किसने बनाया? उधर रेवेन्यू सेक्रेटरी राजीव टकरू ने कहा कि इस शख्स (दिनेश दुबे) से मैं केवल एक बार मिला, वो किसी बात पर नाराज होकर इस्तीफा देना चाहते थे। बता दें कि पीएनबी में फर्जी LoUs के जरिए 11356 करोड़ रुपए का फ्रॉड सामने आया है। इसमें नीरव मोदी, मेहुल चौकसे आरोपी हैं।
कौन हैं दिनेश दुबे, क्या कहा?
- दिनेश दुबे इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर हैं। उन्होंने शुक्रवार को कहा, "यूपीए सरकार में ये घोटाला (पीएनबी-नीरव मोदी केस) था। एनडीए सरकार में ये 10 गुना 50 गुना ज्यादा बढ़ गया है। मैंने 2013 में गीतांजलि जेम्स के खिलाफ असहमति पत्र भेजा था। ये पत्र सरकार और आरबीआई को भेजा था, लेकिन कोई हल नहीं निकला। मुझे निर्देश दिए गए कि ये लोन अप्रूव किया जाना है। मुझ पर दबाव बनाया जा रहा था इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया।"
बीजेपी ने आरोपों पर क्या कहा?
- कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर आरोप लगाए और कहा कि ये फ्रॉड 11,356 करोड़ नहीं बल्कि 28 हजार करोड़ का है। इस पर मोदी सरकार ने जवाब दिया।
- केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यूपीए सरकार के वक्त फाइनेंस सेक्रेटरी ने एक्शन लेने की बजाय दिनेश दुबे को इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया। हम ये पूछते हैं कि फॉरेन सेक्रेटरी को किसने प्रेशराइज्ड किया कि वे दिनेश दुबे पर दबाव डालें। ये एक बैंकिंग फ्रॉड है, जिसकी जांच जारी है। हम ये भरोसा दिलाते हैं कि पैसा वापस लाएंगे।"
रेवेन्यू सेक्रेटरी ने क्या कहा?
- रेवेन्यू सेक्रेटरी ने कहा, "मैं इस शख्स (दिनेश दुबे) से जिंदगी में केवल एक बार मिला। वो 2013 में मेरे ऑफिस में रिजाइन करने के लिए आए थे। इसके पीछे वजह ये थी कि वे किसी बात से नाराज थे। मैंने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। मैंने उनसे कभी बात नहीं की।"
(साभार: भाष्कर)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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