कार्पोरेट मंत्रालय की कर छूट अधिसूचना से भारतीय रेलवे वित्त निगम होगा लाभान्वित
फैसले से आईआरएफसी 63000 करोड़ का अतिरिक्त ऋण जुटाने में होगा सक्षम
कंपनी अधिनियम, की धारा 129 (6) के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा 5 फरवरी 2017 को जारी अधिसूचना से रेलवे के लिए बाजार से पूंजी जुटाने का काम करने वाली रेल मंत्रालय की प्रमुख इकाई भारतीय रेलवे वित्त निगम आईआरएफसी को काफी लाभ होगा क्योंकि अधिसूचना के बाद यह उन कंपनियों और एनबीएफसी के दायरे में आ गयी है जिन्हे सात वर्ष की कर छूट दी गयी है।
अधिसूचना के अनुसार सार्वजनिक वित्तीय संस्थान के रूप में अधिसूचित सरकारी कंपनियों तथा रिज़र्व बैंक के साथ एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत और निर्माण क्षेत्र के लिए कर्ज देने के कारोबार में लगी ऐसी कंपनियों को सात वर्ष की कर छूट दी गयी है जो कंपनियां अपने कुल राजस्व का कम से कम सत्तर प्रतिशत सरकारी कंपनियों या ऐसी संस्थाओं से अर्जित करती हैं जो भारतीय लेखा मानकों -22 (एएस -22) / -12 (इंड-एएस 12) के प्रावधानों के तहत सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में हैं। एएस -22 / इंड-एएस 12 के प्रावधानों के तहत ऐसी कंपनियों को आयकर और कंपनी अधिनियम के तहत अपनी कर अदायगी देर से भी करने की सुविधा दी गयी है।
इस छूट से (आईआरएफसी) को काफी लाभ पहुंचेगा जो रेलवे की परियोजनाओं के लिए बाजार से पूंजी जुटाने का रेल मंत्रालय का महत्वपूर्ण अंग है। आईआरएफसी वित्तीय लीजिंग मॉडल के माध्यम से मंत्रालय के लिए अतिरिक्त बजट संबंधी संसाधनों (ईबीआर) को जुटाने का काम करती है।
काफी ज्यादा अनअवशोषित मूल्यह्रास के कारण आईआरएफसी सामान्य रूप से एसेसमेंट वर्ष में कर का भुगतान नहीं करती और इसके स्थान पर उसे 21 प्रतिशत का न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स (एमएटी) अदा करना होता है। इसके अलावा, उसे डीटीएल के लिए 35 प्रतशित की दर से व्यवस्था भी करनी होती है जिसके कारण उसके बहीखाते में कुल कर अदायगी 56 प्रतिशत तक हो जाती है। इससे आईआरएफसी का कर चुकाने के बाद अर्जित लाभ काफी कम हो जाता है जिसकी वजह से उसे रेलवे मंत्रालय से नियमित अंतराल पर कंपनी में पूंजी डालने की गुहार लगानी पडती है।
आईआरएफसी का 31.3.2017 तक का कुल कर दायित्व 6392 करोड़ रूपए है जो कि रिवर्स होकर कंपनी के कुल बाजार मूल्य का हिस्सा बन जाएगा। इसके अलावा,इसका कर प्रावधान भी 56 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत हो जाएगा जिससे कर के बाद लाभ की स्थिति में काफी सुधार होगा। इससे कंपनी के प्रतिशेयर तथा बुक में दर्ज प्रति शेयर मूल्य में बढोतरी होगी । इससे पहली बार लाए जा रहे प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम के नजरिए से आईआरएफसी की वित्तीय साख में भी इजाफा हेागा। मौजूदा परिप्रेक्ष्य आईआरएफसी में पूंजी निवेश की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि वित्तीय साख बढने से वह बाजार से खुद ब खुद 63000 करोड़ का अतिरिक्त ऋण जुटाने में सक्षम हो जाएगी।
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