नीरव जालसाजी- पीएनबी पर पड़ सकती है भारी
***घोटाला साफ कर देगी चौथाई हैसियत
> पीएनबी को दिसंबर 2017 की तिमाही में ज्यादा प्रावधान करना पड़ा है, जो क्रमिक आधार पर यानी सितंबर तिमाही के मुकाबले 80 फीसदी ज्यादा और साल दर साल के हिसाब से 74 फीसदी ज्यादा है। धोखाधड़ी वाले ऐसे लेनदेन और नए एनपीए के ढांचे से पडऩे वाला असर बैंंक के लिए प्रावधान की मुश्किल में और इजाफा करेगा। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, यह स्पष्ट नहीं है कि बैंक को होने वाला नुकसान धोखाधड़ी वाले लेनदेन की रकम के बराबर होगी और अगर इस क्षति की तीव्रता इतनी होगी तो निश्चित तौर पर यह गंभीर मसला है।<
पंजाब नैशनल बैंक का शेयर बुधवार को दो नकारात्मक खबर से करीब 10 फीसदी टूट गया। सोमवार को आरबीआई की तरफ से गैर-निष्पादित आस्तियों के समाधान पर घोषित नए ढांचे के चलते आने वाले समय में कर्ज के लिए बैंंकिंग उद्योग को ज्यादा प्रावधान करना पड़ सकता है, लेकिन पीएनबी ने बुधवार को कहा कि उसने मुंबई की एक शाखा में धोखाधड़ी और अनधिकृत लेनदेन को पकड़ा है। इस लेनदेन का मूल्य 113.6 अरब रुपये है। ऐसे में शेयर पर प्रतिक्रिया चौंकाती नहीं है क्योंकि अकेले धोखाधड़ी पर ही नजर डाली जाए तो बैंक के लाभ व संपत्ति की गुणवत्ता पर असर पड़ने की संभावना है।
कुछ विश्लेषकों ने कहा, अगर धोखाधड़ी वाली पूरी रकम एनपीए बन जाती है तो बैंक की अनुमानित 480 अरब रुपये की हैसियत पर 25 फीसदी तक का असर पड़ सकता है। बैंक ने हालांकि कहा कि ऐसे लेनदेन की प्रकृति आकस्मिक है। ऐसे में जो रकम वास्तविक देनदारी बनेगी उसके आधार पर बैंक को अतिरिक्त प्रावधान करना होगा। यह घटनाक्रम मार्च 2018 की तिमाही में बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता को भी प्रभावित करेगा। हालांकि पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है, लिहाजा वास्तविक असर का आकलन करना विश्लेषकों के लिए मुश्किल हो रहा है। लेकिन विश्लेषक इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इससे बैंक की वित्तीय स्थिति डगमगाएगी।
प्रभुदार लीलाधर के उप-प्रमुख (इक्विटीज) आर श्रीशंकर इससे सहमत हैं और इनका कहना है कि इस पर अभी काफी कम सूचना उपलब्ध है, पर पीएनबी के लिए यह काफी नकारात्मक है। उन्होंने कहा, हमें देखना होगा कि पीएनबी का कितना कर्ज सुरक्षित व असुरक्षित है क्योंकि सभी असुरक्षित कर्ज के लिए अग्रिम प्रावधान करना होगा। अगर इसे धोखाधड़ी के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है तो 100 फीसदी प्रावधान की दरकार होगी। इस प्रावधान का बैंक के नेटवर्थ पर असर होगा और यह बैंक के राजस्व से घटेगा। अगर 11,000 करोड़ रुपये की पूरी रकम जोखिम पर है तो मोटे तौर पर यह बैंक के बुक वैल्यू का एक चौथाई बैठता है।
इस घटनाक्रम का असर न सिर्फ पीएनबी पर देखने को मिलेगा बल्कि अन्य बैकों पर भी यह नजर आएगा। रिलायंस सिक्योरिटीज के विश्लेषक आशुतोष कुमार मिश्रा ने कहा, इस मामले की वैधता पर एक या दो साल में फैसला होगा, लेकिन पीएनबी को आकस्मिक प्रावधान करना होगा और अन्य बैंक भी इस मामले में शामिल हो सकते हैं और यह मार्च 2018 की तिमाही में ही करना होगा। धोखाधड़ी वाली पूरी रकम को सकल गैर-निष्पादित आस्तियों में शामिल करना होगा। दिसंबर तिमाही में पीएनबी की दबाव वाली संपत्तियां 671.29 अरब रुपये थी, जो कर्ज का 14.13 फीसदी है, पर पिछली तीन तिमाही से बैंक इसमें धीरे-धीरे सुधार कर रहा था। अब धोखाधड़ी के अलावा एनपीए के नए नियम का भी पीएनबी की वित्तीय स्थिति पर असर पड़ेगा, अगर दबाव वाले कोई नए खाते एनपीए में शामिल होते हैं। सकारात्मक चीज यह है कि बैंक पहले से ही अपनी गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों का एक हिस्सा मसलन पीएनबी गिल्ट, पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस और यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट (यूटीआई म्युचुअल फंड) की बिक्री की कोशिश में है।
(साभार: बिज़नेस स्टैण्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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